नई दिल्ली। (Mallikarjun Kharge Letter To PM Modi) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जातिगत जनगणना को लेकर एक पत्र लिखा है। यह पत्र उन्होंने मंगलवार को सार्वजनिक किया, जिसे कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया, इसमें उन्होंने जाति आधारित जनगणना के लिए ठोस तैयारी और पारदर्शिता की मांग करते हुए तीन सुझाव भी दिए हैं।
खरगे ने कहा कि उन्होंने पहले भी 16 अप्रैल 2023 को प्रधानमंत्री को इस विषय में पत्र लिखा था, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी नेताओं ने उस समय इस मांग को लेकर कांग्रेस पर हमला किया था, जबकि अब खुद सरकार ने इसे स्वीकार किया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अप्रैल 2024 में यह घोषणा की थी कि 2021 में होने वाली जनगणना में जाति को एक अलग श्रेणी के रूप में शामिल किया जाएगा।
उन्होंने यह दोहराया कि कांग्रेस पार्टी जाति जनगणना को संविधान में समाहित सामाजिक और आर्थिक न्याय के लक्ष्य को साकार करने का एक अनिवार्य माध्यम मानती है। खरगे ने कहा कि बिना ठोस डेटा के समान अवसर और स्थिति की गारंटी देना संभव नहीं है।
खरगे ने यह भी कहा कि जातिगत जनगणना समाज के वंचित, पिछड़े और हाशिए पर खड़े वर्गों को उनके अधिकार दिलाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। खरगे ने अपने पत्र में हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के नागरिक हर संकट की घड़ी में एकजुट होकर खड़े हुए हैं।
क्या हैं खरगे के तीन सुझाव?
प्रश्नावली का ढांचा सोच-समझकर बने: खरगे ने कहा कि जाति संबंधी आंकड़े केवल संख्या के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक नीतियों को मजबूत करने के लिए होने चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि तेलंगाना में हुए जाति सर्वेक्षण का मॉडल अपनाया जा सकता है।
रिपोर्ट पूरी तरह सार्वजनिक हो: उन्होंने मांग की कि जनगणना रिपोर्ट में कोई भी आंकड़ा छुपाया न जाए, जिससे सभी जातियों की प्रगति का आकलन किया जा सके और उन्हें उनका संवैधानिक हक मिल सके।
संविधान में संशोधन की मांग: खरगे ने सुझाव दिया कि आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को हटाने के लिए संविधान संशोधन किया जाए। साथ ही सभी राज्यों के आरक्षण कानूनों को संविधान की नवीं सूची में शामिल किया जाए।
सभी दलों से संवाद की अपील
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस का मानना है कि संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित सामाजिक व आर्थिक न्याय तथा समान अवसर और स्थिति की गारंटी देने के लिए जाति आधारित जनगणना को व्यापक रूप से कराना बेहद जरूरी है। उन्होंने भरोसा जताया कि उनके सुझावों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और आग्रह किया कि इस विषय पर सभी राजनीतिक दलों के साथ जल्द ही विचार-विमर्श किया जाए।
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