रायपुर। रायपुर में जामा मस्जिद ट्रस्ट कमेटी ने सभी मुतवल्लियों और समाज के प्रमुख लोगों की बैठक बुलाई। यह बैठक वक्फ बिल को लेकर बुलाई गई थी। मंच से समाज के प्रतिनिधियों ने वक्फ बिल (Wakf bill protest) का जमकर विरोध किया। लेकिन, बैठक के बाद प्रतिनिधियों ने इसे नए कानून की कार्यशाला बताया। उन्होंने कहा कि नया वक्फ कानून बनाया गया है, नए कानून के बदलाव के बारे में सभी को बताया गया है।
क्या हुआ कार्यशाला में?
रविवार को रायपुर में जामा मस्जिद ट्रस्ट कमेटी ने सभी मुतवल्लियों और समाज के प्रमुख लोगों की बैठक बुलाई। बैठक का मुख्य एजेंडा नया वक्फ कानून था। समाज के लोंगों ने इस बैठक में वक्फ कानून का पुरजोर विरोध किया। मंच से अधिवक्ता फैजल रिजवी ने कहा कि जिस प्रकार से सरकार नरेंद्र मोदी माननीय प्रधानमंत्री की जो सरकार है जिस प्रकार से लोगों में भ्रम फैला करके एक माहौल बनाया जाता है। पूरे देश में जिस प्रकार गृहमंत्री और प्रधानमंत्री जो इस बिल को लेकर जो प्रोपेगेंडा जो अफवाह फैलाई गई हैं, वह यही है कि इसमें कहीं ना कहीं समाज मुस्लिम समाज का भला है। मुस्लिम समाज के गरीब तबका है। उनका भला करने के लिए यह जो है कानून लाया गया है। इससे बहुत सारा भलाई होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार को बिल पास करना था जो कि सरासर गलत है अन्याय है। तो सरकार कोई भी ऐसे तो कर नहीं रही। तो उसके बारे में जो गलत अफवाहें फैलाई गई और आम जनता को आम जनमानस को इसके बारे में सब गलत जानकारियां दे करके भ्रम फैलाया गया। मुस्लिम समाज के हित में है उनकी भलाई के लिए सरकार कर रही है।
पूर्व डीएसपी सोएब खान ने कहा कि गवर्नमेंट एक प्रोपेगेंडा फैलाती है कि रेलवे के पास सबसे ज्यादा जमीन उनके पास है। जो कि सरासर झूठ है। अगर एक और दो मंदिरों के ट्रस्ट में केवल कर्नाटक और तमिलनाडु में दो मंदिरों के ट्रस्ट को उठाकर देखा जाए तो जितनी वक्फ बोर्ड के पास संपत्ति उससे कई गुना ज्यादा संपत्ति उनके पास है। केवल भ्रमित करने का काम सरकार कर रही है।
उन्होंने कहा कि हम अपने अपने हिंदू भाई हैं या और भी जो लोग हैं। उन लोगों तक सच्चाई को हमको वहां तक पहुंचना है कि ना इतनी बड़ी प्रॉपर्टी है ना इतने हजार करोड़ की प्रॉपर्टी है। और ना इनकम है। ना ही हो पा रही है। वक्फ प्रॉपर्टी में ज्यादातर हिस्सा जो होता है वह मस्जिद होती हैं कब्रिस्तान होते हैं दरगाह होते हैं अब क्या आप अपना इनकम सोच कर कबर में सोए हुए लोगों से पैदा करेंगे। उनको बोलेंगे कि भाई चंदा दो आपको कबर में सुलाया गया है। या फिर मजार पर जाकर बोलेंगे तो क्या हम उनसे कहेंगे कि नहीं साहब आप चले गए दुनिया से तो आप हमारे पास उसका धन भेजिए उसे हमारी आवक पैदा होगी जिससे हम गवर्नमेंट को देंगे टैक्स तो ऐसा तो है नहीं। बहुत कम प्रॉपर्टी ऐसी होती है जिसमें इनकम होती है। सब कुछ करिए कि आप अगर कोई मस्जिद ट्रस्ट है, या मजार का ट्रस्ट है तो एक दो दुकान जो रेंट पर चली गई है या कोई कमर्शियल स्पेस रेंट पर चला गया है। बाकी हमारे जो खर्च चलते हैं वो मस्जिदों के खर्चे हैं। बाजारों के खर्च है, कब्रिस्तान के खर्च है।
अंदर विरोध, बाहर समर्थन
कार्यशाला को लेकर अधिवक्ता फैजल रिजवी ने कहा कि वक्फ को लेकर जो कानून बना है, उन कानून में क्या-क्या करना है, मुतवल्लियों के पास जो जमीन होती हैं। ये समाज से जुड़े रहते हैं, वक्फ का नया कानून बन गया है। कानून में क्या बदलाव हुआ है। पुरानी चीजें खत्म हुई हैं उस बारे में बातचीत हुई है। यह एक कार्यशाला हुई है। जिसमें सभी लोगों को कानून के बारे मे जानकारी दी गई है।
कार्यशाला में पूर्व डीएसपी सोएब खान ने कहा कि ये जामा मस्जिद कमेटी की बैठक थी, इसमें एक काउंसिल का गठन किया गया है। जो लोग वक्फ को समझते हैं उन्हे इस काउंसिल में शामिल किया जाएगा। जो आय वाली मस्जिदें हैं, उनके मुतव्वललियों को भी बुलाया गया था। जो मौजूदा वक्फ कानून है और जो हालात हैं मुल्क के, इस पर राय मशवरा किया गया है ।