लेंस इंटरनेशनल डेस्क। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए घातक आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। पहलगाम हमले के बाद दोनों देशों ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अहम नियुक्तियां की हैं। पाकिस्तान ने अपनी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद असीम मलिक को नया राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) नियुक्त किया है। यह नियुक्ति 29 अप्रैल 2025 को हुई, जिसकी आधिकारिक अधिसूचना कैबिनेट डिवीजन ने देर रात जारी की। यह पहला मौका है, जब किसी सेवारत ISI प्रमुख को दो अहम जिम्मेदारियां एक साथ सौंपी गई हैं।
मलिक अक्टूबर 2024 से ISI के महानिदेशक हैं। अब पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों की भी देखरेख करेंगे। यह पद अप्रैल 2022 से खाली था, जब पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) सरकार के पतन के बाद तत्कालीन NSA डॉ. मोईद यूसुफ ने इस्तीफा दे दिया था।
इस नियुक्ति के बाद पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपनी चौकियों पर फिर से अपने झंडे लगा दिए हैं। एक दिन पहले पाकिस्तान ने इन चौकियों से झंडे हटा लिए थे जिसे लेकर कई अटकलें लगाई जा रही थीं। इस बीच पाकिस्तान ने क्षेत्रीय हालात को लेकर अमेरिका से मदद की गुहार लगाई है।
NSA बोर्ड पर भारत की नई नियुक्ति के बाद पाक का यह फैसला
इस बीच भारत ने भी अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं। 30 अप्रैल 2025 को भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन किया और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी को इसका नया चेयरमैन नियुक्त किया। यह कदम पाकिस्तान की नियुक्ति से ठीक एक दिन पहले उठाया गया। भारत ने 2018 के बाद एनएसए बोर्ड में नई नियुक्तियों के साथ पूर्व रॉ चीफ आलोक जोशी को बोर्ड का चेयरमैन बनाया है। इस बोर्ड में इनके अलावा 7 अन्य सदस्य भी हैंं। जिसमें एयरफोर्स, नेवी, आर्मी, फॉरेन और पुलिस सर्विस के अफसरों को शामिल किया गया है।
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कौन हैं असीम मलिक और पाकिस्तान ने इन्हें क्यों बनाया एनएसए?
असीम मलिक पाकिस्तान के थ्री स्टार जनरल हैं और वर्तमान आईएसआई के महानिदेशक हैं। पहले पीएचडी होल्डर हैं, जो आईएसआई चीफ थे। इन्हें एसएसए बनाने के पीछे बड़ी वजह इनका बलूचिस्तान से कनेक्शन है। मलिक ने बलूचिस्तान यूनविर्सिटी से पढ़ाई की है और पाकिस्तान आर्मी के बलूच रेजिमेंट में लंबे अर्से तक काम किया है। यही वजह है कि बलूचिस्तान के हालात कोे बेहतर तरीके से समझते हैं। बलूचिस्तान के कोएटा में ट्रेन किडनैपिंग मामले में आर्मी के ऑपरेशन की कामयाबी का श्रेय इन्हें ही दिया जाता है। ऐसे में वर्तमान में बलूचिस्तान में जो विरोध के स्वर उठ रहे हैं, उसे संभालने की भी जिम्मेदारी मलिक पर होगी।
साथ ही मलिक ने अमेरिका और इंग्लैंड की यूूूूूूूूनिवर्सिटी में पढ़ाई की है और ये पढ़ाई उन्होंने डिफेंस स्टडीज और माउंटेन वारफेयर पर की है। इसके साथ ही पाकिस्तान-अमेरिका के संबंधों पर उन्होंने डॉक्टरेट किया हैै। इन्हीं वजहों से उन्हें आईएसआई चीफ बनाया गया था। इन्हें एडजुटेंट जनरल भी बनाया गया था। एडजुटेंट जनरल रहने के दौरान 9 मई के दंगों की जांच की थी। इसके अलावा पूर्व आईएसआई चीफ फैज हमीद के खिलाफ चल रही जांच में भी मलिक का अहम रोल है। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हमीद के खिलााफ टॉप सिटी केस में की गई शिकायतों की सत्यता का पता लगाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने एक जांच की थी। इस जांंच में फैज पर पाकिस्तान सेना अधिनियम 1952 के प्रावधानों के तहत फैज के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई। मलिक की कोशिशों की वजह से ही फैज पर कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू की और हमीद वर्तमान में सैन्य हिरासत में हैं।