द लेंस डेस्क। BBC ON TERRORIST : पहलगाम में हुए आतंकी हमले की रिपोर्टिंग को लेकर भारत सरकार ने बीबीसी से सवाल पूछा है। गृह मंत्रालय की सलाह पर सरकार ने बीबीसी को सलाह दी क्योंकि उसने पहलगाम हमले के आतंकवादियों को ‘उग्रवादी’ कहा था। भारत सरकार ने सवाल उठाया कि बीबीसी आतंकवादियों को ‘आतंकवादी’ क्यों नहीं कहता? इससे पहले भी बीबीसी का यही रुख हमास के मामले में देखा गया था जब उसने इज़राइल में हमलों के दौरान हमास के हथियारबंद लोगों को ‘आतंकवादी’ कहने से इनकार किया था। आइए जानते हैं बीबीसी ने तब क्या जवाब दिया था।
बीबीसी का हमास पर पुराना जवाब
पिछले साल इज़राइल में हमास के हमलों की कवरेज के दौरान बीबीसी ने अपने पत्रकारों द्वारा ‘आतंकवादी’ शब्द का इस्तेमाल न करने के फैसले का बचाव किया था। बीबीसी के एक प्रवक्ता ने कहा “हमारा पुराना नियम है कि पत्रकार खुद ‘आतंकवादी’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करते, जब तक कि यह किसी और के बयान में न हो।”
बीबीसी के इंटरनेशनल मामलों के हेड जॉन सिम्पसन ने इस पर कहा, “किसी को आतंकवादी कहना मतलब एक पक्ष का साथ देना है। हमारा काम तथ्यों को सामने रखना है, न कि यह बताना कि कौन सही है और कौन गलत।”

उस समय ब्रिटेन के रक्षा सचिव ग्रांट शैप्स ने बीबीसी की इस नीति को शर्मनाक बताया था। उन्होंने कहा, “हमास ने निर्दोष लोगों, बच्चों, उत्सव में शामिल लोगों और बुजुर्गों की हत्या की। ब्रिटेन में हमास को आतंकवादी संगठन माना जाता है फिर भी बीबीसी उन्हें ‘हथियारबंद’ या ‘उग्रवादी’ कहता है। यह गलत है।”
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बीबीसी का तर्क- ‘निष्पक्षता का सिद्धांत’
बीबीसी का कहना है कि ‘आतंकवादी’ एक भारी शब्द है, जिसे लोग उन समूहों के लिए इस्तेमाल करते हैं जिन्हें वे गलत मानते हैं। बीबीसी का काम लोगों को यह बताना नहीं है कि कौन अच्छा है और कौन बुरा। उसका काम है सच्चाई को सामने लाना और लोगों को खुद फैसला करने देना। बीबीसी ने कहा, “हम बताते हैं कि ब्रिटेन और दूसरी सरकारें हमास को आतंकवादी संगठन मानती हैं लेकिन यह उनका फैसला है। हम साक्षात्कारों और बयानों में ‘आतंकवादी’ शब्द का इस्तेमाल होने देते हैं लेकिन खुद इसे नहीं कहते।”
बीबीसी का दावा है कि उसकी खबरें, तस्वीरें और ऑडियो लोगों को सच्चाई दिखाते हैं। वह सच को छिपाता नहीं बल्कि साफ तरीके से पेश करता है। बीबीसी का कहना है कि कोई भी समझदार व्यक्ति हमास के हमलों को देखकर दुखी होगा और इन्हें ‘अत्याचार’ कहना सही है।
बीबीसी का इतिहास: निष्पक्षता की परंपरा
बीबीसी ने बताया कि उसका यह नियम पुराना है। दूसरे विश्व युद्ध में भी बीबीसी को नाजियों को ‘बुरा’ या ‘दुष्ट’ कहने से मना किया गया था हालांकि उन्हें ‘दुश्मन’ कहा जा सकता था। बीबीसी का कहना था कि उसकी आवाज हमेशा शांत और संयमित रहनी चाहिए। इसी तरह, जब IRA ने ब्रिटेन में बम धमाके किए तब भी बीबीसी ने ‘आतंकवादी’ शब्द से परहेज किया, भले ही तत्कालीन प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर की सरकार ने उस पर दबाव डाला। बीबीसी का कहना है कि वह ‘बुरा’, ‘कायर’ या ‘आतंकवादी’ जैसे शब्दों से बचता है क्योंकि यह उसकी निष्पक्षता को खत्म कर सकता है।
क्या है भारत सरकार की आपत्ति?
पहलगाम हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी। भारत सरकार का मानना है कि बीबीसी का आतंकवादियों को ‘उग्रवादी’ कहना गलत है,क्योंकि यह हमले की गंभीरता को कम करता है। गृह मंत्रालय ने बीबीसी की रिपोर्टिंग पर सवाल उठाते हुए यह सलाह दी है। भारत सरकार ने हाल ही में आतंकवाद के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं जैसे सिंधु जल समझौता रोकना, पाकिस्तानी वीजा रद्द करना और सुरक्षा बढ़ाना। ऐसे में बीबीसी की इस नीति पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
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बीबीसी का कहना है कि वह अकेला नहीं है जो इस नीति को मानता है। दुनिया के कई बड़े समाचार संगठन भी ‘आतंकवादी’ जैसे शब्दों से बचते हैं। लेकिन बीबीसी पर ज्यादा ध्यान जाता है क्योंकि लोग उससे उच्च मानकों की उम्मीद करते हैं। बीबीसी का दावा है कि उसकी निष्पक्षता ही वजह है कि दुनिया भर में लाखों लोग उसकी खबरें देखते, पढ़ते और सुनते हैं। पहलगाम हमले के बाद यह बहस फिर से तेज हो गई है।