द लेंस डेस्क। कार के शौकीनों की संख्या देश में सीमित हो गई है। आर्थिक स्थितियां ऐसी हैं कि कार खरीदना भी जोखिम (buying a car is expensive) हो गया है। यह जानकारी देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन आर. सी. भार्गव ने दी। उन्होंने बताया कि भारत में 12 फीसदी परिवार ही कार खरीद सकते हैं। जिनकी सालाना आय 12 लाख रुपये से अधिक है, वही कार खरीदने का जोखिम उठा सकते हैं। जबकि बचे 88 प्रतिशत लोगों के लिए छोटी कारें भी अफोर्डेबल नहीं रह गई हैं।
मारुति सुजुकी ने शुक्रवार को 2024-25 की चौथी तिमाही के लिए अपने रिजल्ट जारी किए, जिसमें 4.3 प्रतिशत की साल दर साल गिरावट देखने को मिली है, जो कि 3,711 करोड़ रुपये रह गई है। आर. सी. भार्गव का कहना है कि इसका कारण छोटी कारों की बिक्री में लगातार गिरावट और शहरी बाजारों में कमजोर मांग है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल यात्री वाहन (PV) बिक्री वृद्धि 2024-25 में 4.3 मिलियन यूनिट रही, जो साल-दर-साल सिर्फ 2 प्रतिशत अधिक थी।
उन्होंने बताया कि “हमने देखा है कि इस चालू वर्ष में छोटी कारों (सेडान और हैचबैक) की बिक्री में लगभग 9 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसलिए अगर देश में 88 प्रतिशत लोगों द्वारा खरीदी जाने वाली कार श्रेणी में 9 प्रतिशत की गिरावट है, तो आप वृद्धि कहां से लाएंगे?”
1 हजार में 34 लोग ही कार खरीद पाते हैं
भार्गव ने आगे कहा कि भारत में 1,000 में से केवल 34 कारों की पहुंच है, जो “संभवत: दुनिया के इस क्षेत्र के किसी भी देश में सबसे कम है”। “एक ऐसे देश के लिए जो बढ़ रहा है, यह पर्सनल व्हीकल बिक्री वृद्धि दर केवल 2-3 प्रतिशत प्रति वर्ष कारों की पहुंच को बिल्कुल भी नहीं बढ़ाएगी। यह कुछ चिंता का विषय है, खासकर इसलिए क्योंकि 2025-26, जैसा कि सियाम ने पूर्वानुमान लगाया है, एक बेहतर वर्ष नहीं होने जा रहा है।”