द लेंस डेस्क। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शिकारे, हाउसबोट और होटल सूने पड़ गए हैं। जम्मू-कश्मीर में इन दिनोंं पर्यटन का मौसम है, लेकिन इस आतंकी हमले ने दहशत पैदा कर दी है। इस हमले में 27 पर्यटक और कश्मीरी मजदूर की मौत हो गई। हमले के तुरंत बाद ही अफरा-तफरी के बीच पर्यटक यहां से लौटने लगे। इस हमले ने कश्मीर की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। सबसे बुरा असर पर्यटन पर पड़ा है। इसका सीधा असर कश्मीर के आम लोगों पर पड़ रहा है। इसमें शिकारा वाले, खच्चर वाले, पालकी वाले और छोटे दुकानदारों से लेकर होटल व्यवसायी शामिल हैं। जम्मू- कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से पिछले कुछ सालों से पर्यटन उद्योग पटरी पर लौट रहा था। लेकिन चौबीस घंटे के दौरान 25 फीसदी बुकिंग रद्द हो चुकी है।
पर्यटन पर लगा तगड़ा झटका
आतंकी हमले में मारे गए 27 लोगों में ज्यादातर पर्यटक थे। यह हमला उस समय हुआ जब कश्मीर में पर्यटन अपने चरम पर था। जम्मू-कश्मीर के आर्थिक सर्वे के मुताबिक 2024 में जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में रिकॉर्ड 2.36 करोड़ पर्यटक आए थे, जिसमें 65 लाख विदेशी पर्यटक भी शामिल थे। माना जा रहा था कि ये रिकार्ड 2025 में टूट जाएगा, लेकिन इस हमले के बाद पर्यटकों ने बड़े पैमाने पर अपनी यात्राएं रद्द कर दी हैं। इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स के अध्यक्ष राजीव मेहरा ने मीडिया को बताया कि पिछले 24 घंटों में कश्मीर की बुकिंग्स में 25 फीसदी की गिरावट आई है, और 30 से 40 प्रतिशत पर्यटक अब गुलमर्ग और श्रीनगर की बजाय हिमाचल या उत्तराखंड जैसे स्थानों का रुख कर रहे हैं।
इधर कश्मीर होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन का कहना है कि अगस्त 2025 तक की 12 लाख एडवांस बुकिंग्स रद्द हो चुकी हैं। ट्रैवल एजेंट्स और होटल मालिकों का कहना है कि यह सीजन उनके लिए मंगलवार आंतकी हमले वाले दिन ही खत्म हो गया।
जानिए आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा?
कश्मीर की इकॉनमी में टूरिज्म का महत्वपूर्ण योगदान है, जो कि सात से आठ प्रतिशत का है। टूरिज्म उद्योग ढ़ाई लाख लोगों को रोजगार देता है। समझिए आम लोगों पर कैसे असर पड़ेगा।
शिकारा वाले: शिकारे को डल झील की शाही सवारी कहा जाता है। डल झील में 1500 से अधिक हाउसबोट्स और शिकारे चलते हैं, जो हजारों परिवारों की आजीविका का आधार हैं। हमले के बाद पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई है, जिससे शिकारा चालकों पर आजीविका का संकट पैदा हो गया है।

खच्चर वाले : यही हाल खच्चर और पालकी वालों का है। पहलगाम, गुलमर्ग और सोनमर्ग जैसे स्थानों पर खच्चर और पालकी वाले पर्यटकों को ट्रेकिंग और दर्शनीय स्थलों तक ले जाते हैं। इस पर खच्चर चालकों का कहना है कि हमारा पूरा सीजन पर्यटकों पर निर्भर है। अगर वो नहीं आए, तो हमारे बच्चे भूखे रह जाएंगे। हमले के बाद बाइसरन घाटी में सन्नाटा पसरा है, और इन मजदूरों का काम पूरी तरह से ठप हो गया है।
टैक्सी ड्राइवर : इसी उद्योग से जुड़े टैक्सी ड्राइवर, और अन्य छोटे-मोटे काम करने वाले लोग भी इसके चलते प्रभावित हुए हैं। राज्य के आर्थिक सर्वे 2024-25 के मुताबिक जम्मू-कश्मीर प्रति व्यक्ति आय ढ़ेड लाख रुपये से अधिक थी, जिस पर असर पड़ सकता है। इससे आम आदमी पर भी गहरा असर पड़ेगा। इससे छोटी पूंजी वाले लोगों को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

छोटे दुकानदार : पहलगाम और श्रीनगर के बाजारों में छोटे दुकानदार, जो हस्तशिल्प, शॉल, कालीन और स्थानीय मसाले बेचते हैं, अब उनकी दुकानें बिना ग्राहकों के खाली पड़ी हुईं हैं। हमले के बाद घरों की और रुख कर रहे हैं, साथ ही जो पर्यटक कश्मीर आने वाले थे, वह भी अपनी बुकिंग रद्द कर रहे हैं। इससे छोटे दुकानदारों पर भी आजीविका खतरा मंडराने लगा है। आतंकी हमले के बाद श्रीनगर के बाजारों ने काला दिवस मनाया था, और इसके विरोध में अपनी दुकानें बंद रखी थीं।

होटल कारोबारियों को बड़ा नुकसान
कश्मीर में 3000 से अधिक होटल और हाउसबोट्स हैं, जो पर्यटकों की भीड़ से गुलजार रहते थे, लेकिन अब होटल खाली पड़े हैं। श्रीनगर के एक होटल मालिक ने मीडिया से कहा, “हमने कोविड के बाद फिर से कारोबार शुरू किया था, लेकिन यह हमला हमें फिर से उसी अंधेरे में धकेल रहा हैै।
खतरे में 12,000 करोड़ का कारोबार
कश्मीर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान 12,000 करोड़ रुपये का है, 2030 तक इसे 30,000 करोड़ तक ले जाने का अनुमान लगाया था, मगर इस हमले ने इस लक्ष्य पर ग्रहण लगा दिया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर पर्यटक नहीं लौटे, तो घाटी की अर्थव्यवस्था 21,000 करोड़ रुपये के नुकसान का सामना कर सकती है। निवेशक भी अब सतर्क हो गए हैं, और 1.63 लाख करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
अब आगे क्या होगा?
कश्मीर के लोग और सरकार अब इस संकट से उबरने की कोशिश में हैं। कई स्थानीय ट्रांसपोर्टर पर्यटकों को मुफ्त में सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा रहे हैं। लेकिन पर्यटकों का विश्वास बहाल करना इतना आसान नहीं होगा। पर्यटन विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार को सुरक्षा बढ़ाने और पर्यटकों को भरोसा दिलाने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे।