द लेंस डेस्क। रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख और विश्व के प्रमुख धार्मिक नेता पोप फ्रांसिस का आज (सोमवार) को 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वेटिकन ने एक वीडियो बयान में उनके निधन की पुष्टि की है।पोप फ्रांसिस इतिहास के पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे। पोल पिछले कई महीनों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे।
pope francis is no more: कौन हैं पोप फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बेर्गोग्लियो था, 2013 में पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के इस्तीफे के बाद पोप चुने गए थे। वे पहले जेसुइट पोप, पहले लैटिन अमेरिकी पोप और एक हजार साल से अधिक समय में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे। उनकी सादगी, करुणा और सामाजिक न्याय के प्रति समर्पण ने उन्हें “जनता का पोप” का खिताब दिलाया।
लंबे समय से थे बीमार
pope francis is no more: पिछले कुछ सालों में पोप फ्रांसिस का स्वास्थ्य चिंता का विषय रहा था। फरवरी 2025 में, उन्हें सांस लेने में तकलीफ के कारण रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां उनकी तबियत और खराब हो गई थी, और उन्हें डबल निमोनिया हो गया था। 38 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद बीच में उनकी तबियत में सुधार हुआ था, लेकिन उनके कमजोर स्वास्थ्य के कारण डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए।
गरीबों के लिए उठाई आवाज
pope francis is no more: पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल में गरीबों, शरणार्थियों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए आवाज उठाई। 2016 में, उन्होंने विभिन्न धर्मों के शरणार्थियों के पैर धोकर मानवता और समावेशिता का संदेश दिया था। पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन और सामाजिक समानता जैसे मुद्दों पर उनकी स्पष्ट राय ने उन्हें वैश्विक मंच पर एक प्रभावशाली व्यक्तित्व बनाया।
हजारों लोग हुए इकट्ठा
उनके निधन की खबर के बाद, सेंट पीटर स्क्वायर में हजारों लोग प्रार्थना और शोक के लिए एकत्र हुए। विश्व भर के कैथोलिक समुदाय और अन्य धर्मों के लोग उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। वेटिकन ने बताया कि पोप का अंतिम संस्कार जल्द ही होगा, और इसके बाद कार्डिनल्स की सभा नए पोप के चुनाव के लिए बुलाई जाएगी।
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