Kapil Sibal VS Jagdeep Dhankhar: नई दिल्ली। पहले राज्यसभा फिर सुप्रीम कोर्ट में वक्फ बिल के विरोध में पैरवी करके चर्चा में आये वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर जबरदस्त हमला बोला है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यपालों के पास लंबित विधेयकों को रोके जाने की समयसीमा के निर्धारण को लेकर दिए गए फैसले पर कोर्ट की सख्त आलोचना की थी।
निर्दलीय राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को एक प्रेसवार्ता में कहा कि उन्होंने कभी किसी राज्यसभा अध्यक्ष को इस तरह का “राजनीतिक बयान” देते नहीं देखा और ऐसा लगता है कि “जैसे न्यायपालिका को सबक सिखाया जा रहा है।”
इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसले का दिया उदाहरण
कपिल सिब्बल ने प्रेस कान्फ्रेसं के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को रद्द करने वाले 1975 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को याद करते हुए सिब्बल ने कहा, “लोगों को याद होगा कि जब इंदिरा गांधी के चुनाव के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला केवल एक न्यायाधीश न्यायमूर्ति कृष्ण अय्यर ने सुनाया था।”
सिब्बल का कहना था कि “इंदिरा जी के खिलाफ आया फैसला धनखड़ जी को स्वीकार्य रहा होगा , लेकिन अब दो न्यायाधीशों की पीठ का फैसला सही नहीं है, क्योंकि यह सरकार के पक्ष में नहीं है।” सिब्बल ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष और सभापति को विपक्ष और सत्तारूढ़ पक्ष दोनों से “समान दूरी” बनाए रखनी चाहिए।
Kapil Sibal VS Jagdeep Dhankhar : क्या कहा था धनखड़ ने
यह सारा विवाद गुरुवार को उपराष्ट्रपति धनखड़ के उस बयान से शुरू हुआ था जिसमे उन्होंने कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 142, जो सर्वोच्च न्यायालय को उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले में “पूर्ण न्याय” सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कोई भी आदेश पारित करने की शक्ति प्रदान करता है,यह अनुच्छेद कार्यपालिका के खिलाफ सुपर मिसाइल बन गया है , जो न्यायपालिका के लिए 24X7 उपलब्ध है”।
Kapil Sibal VS Jagdeep Dhankhar: मंत्रियों पर भी दागे व्यंग्य बाण
सिब्बल ने कहा, “यदि धनखड़ ऐसे बयान देते हैं, तो ऐसा लगेगा जैसे न्यायपालिका को सबक सिखाया जा रहा है यह न तो तटस्थ बयान है है और संवैधानिक तो हरगिज नहीं है।”
उन्होंने कहा, “न्यायपालिका पर कार्यपालिका से सम्बद्ध दो मंत्रियों अर्जुन राम मेघवाल और किरेन रिजिजू और सदन के सभापति द्वारा इस तरह से हमला नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि न्यायपालिका अपना बचाव नहीं कर सकती है।”
उन्होंने कहा, “तब राजनीति को न्यायपालिका का बचाव करना चाहिए। न्यायपालिका की स्वतंत्रता देश में लोकतंत्र के लिए मौलिक है। जो किया जा रहा है वह असंवैधानिक है।”
राम जन्मभूमि के फैसले का भी जिक्र
Kapil Sibal VS Jagdeep Dhankhar: सिब्बल ने कहा,” जो फैसला आपको पसंद नहीं है वह गलत है और जो आपकी सोच के मुताबिक है वह ठीक है। एक संवैधानिक पदाधिकारी के लिए ऐसी बात कहना सही नहीं है।” उन्होंने कहा कि जब कोई अनुच्छेद 370 या राम जन्मभूमि फैसले के बारे में सवाल उठाता है तो सरकार कहती है कि यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला है।
धनखड़ की इस टिप्पणी पर कि राष्ट्रपति की शक्तियों में कटौती की जा रही है, सिब्बल ने पूछा कि इसे कौन कम कर रहा है। सिब्बल ने कहा, “क्या राज्यपाल दो साल तक ऐसे विधेयक को रोके रख सकते हैं जो लोगों के लिए महत्वपूर्ण है?” उन्होंने कहा कि यह “विधायिका की सर्वोच्चता में घुसपैठ” के बराबर है।
सिब्बल ने कहा, “अगर आपको किसी फैसले से कोई समस्या है, तो समीक्षा के लिए बुलाइए। अगर फिर भी कोई समस्या है, तो सुप्रीम कोर्ट से सलाह लीजिए।” उन्होंने कहा, “उन्होंने (धनखड़) 1984 की बात की, लेकिन 2002 की नहीं। आपने आपातकाल की बात की, लेकिन अघोषित आपातकाल की नहीं, जो अभी भी कायम है।”