
Gold Rate: इस समय सोने की चाल और चमक से सारी दुनिया चौंधिया गई है। यह किसी हिरण की तरह छलांग लगाता जा रहा है और कहां रुकेगा कोई नहीं जानता है। एक लाख रुपये प्रति दस ग्राम का लक्ष्य भी अब छोटा पड़ गया है और वह उसके करीब जा पहुंचा है। गुरुवार को दिल्ली के सर्राफा बाजार में सोने के दाम 98,005 रुपये हो गए।
यह बढ़ोतरी इस साल कहीं ज्यादा तेजी से हो रही है और जो सोना पहली जनवरी 2025 को 79,390 रुपये था, उसमें 23.56 फीसदी का उछाल आया है। इसके पहले 11 अप्रैल को सोने के दामों में एक दिन में रिकॉर्ड बढोतरी देखी गई और यह 6,250 रुपये बढ़ गया था। यह ऐतिहासिक कीमत सिर्फ पांच सालों में पहुंची है। 2019 में 35,220 रुपये की दर से बिकने वाला सोना इन ऊंचाइयों तक जा पहुंचा है। इस उछाल ने कारोबारियों और स्वर्णकारों में अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया। खरीदार तो हक्के-बक्के हैं ही।
सोना है संकट का सबसे बड़ा साथी
Gold Rate: जी हां, सोने कीमतें इसलिए ज्यादा होती हैं कि यह न केवल दुर्लभ है, बल्कि संकट का सबसे बड़ा साथी होता है। सैकड़ों वर्षों से सोने की तलाश में लोग भटकते रहे हैं और क्या राजा, क्या रंक सभी इसके मोहपाश में बंधे रहते हैं। लेकिन उससे भी बड़ी बात यह है कि यह एक ऐसा कमोडिटी है, जिसे आसानी से खरीदा और बेचा भी जा सकता है।
यानी तरलता या लिक्विडिटी के मामले में यह सबसे आगे है। यह छोटे-बड़े निवेशकों की पहली पसंद है। हमने देखा है कि दुनिया में जब कभी भी कोई बड़ा संकट या युद्ध के हालात होते हैं, तो उस समय सोने के दाम बढ़ जाते हैं। कोविड महामारी में सोने के दाम बेहद ऊपर चले गए थे और जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तथा मध्य पूर्व में युद्ध की आग जलने लगी, तो सोने ने जबर्दस्त छलांग लगाई और यह बदस्तूर जारी है।
और अब एक नई जंग शुरू हुई है और वह है “ट्रेड वार” जिसे डॉनल्ड ट्रंप ने शुरू किया और क्या दोस्त-क्या दुश्मन, सभी को उन्होंने इसमें झोंक दिया है। पूरी दुनिया में इस समय अनिश्चितता दिख रही है और न केवल निवेशक बल्कि देशों के सेंट्रल बैंक भी सोना खरीद रहे हैं, ताकि उनकी अर्थव्यवस्था सुरक्षित रहे और मुद्रा ज्यादा दबाव में न आये। वो टनों सोना खरीदते हैं, जिससे बाजार में उछाल आता है।
2024 में चीन के सेंट्रल बैंक ने एक छमाही में 44 टन खरीदा और 2025 के शुरू में पांच टन और भी खरीदारी की। बताया जाता है कि अब उसके पास 2285 टन सोना है, जो उसके कुल विदेशी मुद्रा रिजर्व का 5.9 फीसदी है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक 2022 और 2023 में हर साल दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों ने एक हजार टन से भी ज्यादा सोने की खरीदारी की जिससे सप्लाई पर दबाव पड़ा और इसकी कीमतें उछल गईं।
सोने की कीमतों में मांग और आपूर्ति का नियम भी हमेशा लागू होता है। सोने की आपूर्ति दुनिया में बहुत ही कम है और साउथ अफ्रीका, घाना वगैरह जेसे देशों में इसकी नियमित रूप से खुदाई होती है। लेकिन वहां भी धरती के अंदर स्टॉक घटता जा रहा है। भारत में तो सोने का उत्पादन तो नहीं के बराबर है। दिसंबर 2022 में भारत में महज 1200 किलो सोने का उत्पादन हुआ था।

कारोबार पर असर
इस ऐतिहासिक तेजी ने सोने की बिक्री पर सर डाला है। ऑल बुलियन ऐंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन योगेश सिंघल कहते हैं कि इस अभूतपूर्व तेजी के कारण खरीदार और दुकानदार दोनों ही कन्फ्यूज्ड हैं। खरीदार जहां पहले ज्यादा सोना खरीद पाते थे, अब उतनी ही रकम में इसके आधे के गहने मिल पा रहे हैं।
शादियों में दी जाने वाली चार ग्राम की अंगूठी इस समय 40,000 रुपये की हो गई है, जबकि एक साल पहले यह 20 हजार के अंदर ही आ जाती थी। उन्होंने कहा कि अभी शादियों में देने के लिए लोग खरीदारी तो कर रहे हैं, लेकिन उन्हें मात्रा में कटौती करनी पड़ रही है। आने वाले समय में क्या होगा, यह कोई नहीं बता सकता है क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। विदेशों में सरकारें सोना खरीद रही हैं ताकि वहां आर्थिक स्थिरता रहे।
बहरहाल सोना है कि मानता नहीं। यह मौका है कि अगर आपके पास अतिरिक्त सोना है, तो उसे बेचकर रियल एस्टेट में लगा दें। सोने के दाम का क्या? अगर परिस्थितियों बदलीं, तो इसकी कीमतें भी गिर जायेंगी। ऐसा अतीत में हुआ भी है।
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