why petrol and diesel is expensive: अक्टूबर 1973 में जब अरब देशों ने योम किप्पुर युद्ध के बीच तेल की सप्लाई पर लगाम कसी, तो कच्चे तेल की कीमतें 300 फीसदी उछलकर 3 डॉलर से 12 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं। भारत में इसका असर ऐसा हुआ कि पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छूने लगे और दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में बड़े-बड़े नौकरशाह और उद्योगपति तक कार छोड़कर बसों से दफ्तर जाने को मजबूर हो गए।
आज 50 साल बाद भी सवाल वही है, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सस्ता है, तो भारत में पेट्रोल की कीमतें आसमान क्यों छू रही हैं? हाल ही में सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर 2 रुपये का टैक्स बढ़ाया, लेकिन दावा किया कि आम जनता पर इसका असर नहीं पड़ेगा। तो फिर सच्चाई क्या है? आखिर तेल आपके पेट्रोल पंप तक कैसे पहुंचता है, सरकार कितना टैक्स वसूलती है और पड़ोसी देशों में ये हमसे सस्ता क्यों है ?
why petrol and diesel is expensive: आप तक कैसे पहुंचता है पेट्रोल
आप सभी को पता ही होगा कि पेट्रोल क्रूड से बनाया जाता है लेकिन इसकी प्रक्रिया काफी लंबी होती है। सबसे पहले कच्चे तेल को निकाला जाता है। जैसे कि भारत में कच्चा तेल जो पृथ्वी के नीचे तेल क्षेत्रों (जैसे बॉम्बे हाई, असम) से ड्रिलिंग करके निकाला जाता है। भारत अपनी जरूरतों का 80-85 प्रतिशत तेल बाहरी देशों से आयात करता है। इन देशों में अमेरिका, रुस, ईराक और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।
ये कच्चा तेल विदेशों से जहाजों से बंदरगाहों तक आता है, फिर पाइप लाइनों के माध्यम से या रेल/ट्रकों से रिफाइनरियों तक जाता है। इसके बाद रिफाइनरी में कच्चे तेल की प्रोसेसिंग की जाती है, जहां कच्चे तेल को गर्म करके डिस्टिलेशन किया जाता है। इसके बाद कच्चे तेल से भारी हिस्सों को तोड़कर पेट्रोल, डीजल बनाया जाता है, फिर साफ करके मानकों के हिसाब से तैयार किया जाता है। इसके बाद फिर अगले चरण की शुरुआत होती है।
रिफाइनरी से तेल को बड़े भंडारण डिपो में भेजा जाता है। ये डिपो देश भर में रणनीतिक जगहों पर होते हैं, जहां इसे सुरक्षित टैंकों में रखा जाता है। इसके बाद बारी आती है वितरण की जहां से डिपो से पेट्रोल टैंकर ट्रकों, रेल, या पाइप लाइनों के जरिए स्थानीय पेट्रोल पंपों तक फिर आपकी कार और बाइक में पहुंचता है। इसमें IOCL, BPCL, HPCL जैसी कंपनियां ये लॉजिस्टिक्स मैनेज करती हैं।
भारत को कहां से मिलता है कच्चा तेल
भारत अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए 80 प्रतिशत तेल दुनिया के 40 देशों से आयात करता है। जिसमें प्रमुख रूप से अमेरिका, रूस, सउदी अरब, इराक और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। इसमें एक प्रमुख देश ईरान भी शामिल था लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत कच्चा तेल ईरान से आयात नहीं करता है।
why petrol and diesel is expensive: आखिर पिछले 15 सालों में क्या हुए बदलाव
पिछले 15 सालों में हुए बदलाव की बात करें तो 2010 की शुरुआत में दिल्ली में पेट्रोल का भाव 47 और डीजल 35 रुपये लीटर था। जबकि उस समय में क्रूड का अंतराष्ट्रीय बाजार में भाव 80 डॉलर प्रति बैरल था। आज की यानि 2025 की बात करें तो दिल्ली में पेट्रोल का भाव 94.77 और डीजल 87 रुपये लीटर है, जबकि अंतराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत 61 डॉलर प्रति बैरल है। इससे साफ है कि पिछले 15 सालों में पेट्रोल 2 गुना और डीजल 2.5 गुना महंगा हो गया है।
क्यों महंगा पेट्रोल- डीजल
why petrol and diesel is expensive: पिछले दो सप्ताह पर नजर डालें तो क्रूड का रेट 10 डॉलर से भी ज्यादा नीचे गिर गया है। ऐसे में ये सवाल जरुर आता है कि जब क्रूड सस्ता है तो फिर हमें पेट्रोल इतना महंगा क्यों मिल रहा है। साथ ही ये भी समझना जरूरी है कि सरकार ने एक्साइज ड्यूटी क्यों बढ़ा दी और इसका बोझ जनता पर नहीं डाला।
सरकार ने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि तेल कंपनियों का 4 गुना तक मुनाफा बढ़ गया है और इसमें हिस्सेदारी लेने के लिए सरकार ने 2 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी। इस कदम से केंद्र सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी। ऐसे में यहां सबसे बड़ा विलेन टैक्स, एक्साइज और वैट है, जो कीमत का 50 से 60 प्रतिशत है।
क्रूड सस्ता होने पर भी सरकार टैक्स नहीं घटाती, क्योंकि सरकार को राजस्व बचाना है। इधर तेल कंपनियां (IOCL, BPCL) सस्ते क्रूड से मुनाफा बटोरती हैं, पुराना घाटा चुकाती हैं। एक बड़ा कारण रुपये की कमजोरी का भी है जो आयात को महंगा रखती है। रिफाइनिंग और ट्रांसपोर्ट की लागत भी कम नहीं होती, जिसका असर आपकी जेब पर पड़ता है।
रुस- यूक्रेन वॉर का कच्चे तेल पर असर
रूस दुनिया का प्रमुख तेल उत्पादक देश है। जब युद्ध शुरू हुआ तो सप्लाई रुकने का डर फैल गया। मार्च 2022 में ब्रेंट क्रूड 139 डॉलर बैरल तक उछल गया। जो कि 2008 के बाद सबसे ऊंचा था। पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए, यूरोप ने रूसी तेल छोड़ा, जिससे कीमतें और बढ़ गई।
भारत ने मौके का फायदा उठाते हुए सस्ता रूसी तेल खरीदा जो 2021 में 2 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 40 प्रतिशत आयात हुआ। 2022 में औसत क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल रहा। 2023 में कीमतें गिरीं ये 80 डॉलर तक आ गया। 2025 तक क्रूड 65 डॉलर बैरल पर आ गया, क्योंकि चीन की मांग घटी और ग्लोबल सप्लाई ठीक रही। युद्ध ने तेल बाजार को हिलाया, कीमतें बढ़ाईं, और भारत जैसे देशों को रूस की तरफ मोड़ा।
why petrol and diesel is expensive: जानिए पड़ोसी देशों में क्या है पेट्रोल- डीजल का भाव
अक्सर ये दिमाग में आता है कि आखिर हमारे पड़ोसी देशों में पेट्रोल और डीजल का भाव क्या है। चलिए ये भी अपको बता देते हैं, सबसे पहले नेपाल की बात करते हैं। नेपाल की राजधानी काठमांडू में पेट्रोल का भाव 163 और डीजल 149 नेपाली रुपये है। जो (101.88 और 100.31 भारतीय रुपये) के बराबर है।
वहीं बांग्लादेश की बात करें तो यहां पेट्रोल का भाव 126 और डीजल 124 बांग्लादेशी टका है। जो (87.57 और 86.18 भारतीय रुपये) के बराबर है। चलिए अब बात पाकिस्तान की भी कर लेते हैं, जहां पेट्रोल 254.63 और डीजल 258.64 पाकिस्तानी रुपये है। जो (75.66 और 76.82 भारतीय रुपये) के बराबर है।
why petrol and diesel is expensive : उत्पादन बढ़ाने को लेकर हो चुकी है सिफारिशें
संसद की स्थायी समिती ने 20 दिसबंर 2023 को पेट्रोलियम नीति और कच्चे तेल के आयात की समीक्षा करते हुए महत्वपूर्ण सिफारिशें की थी। रमेश बिधूड़ी की अध्यक्षता वाली समिती ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को हाइड्रो- कार्बन आयात के नए स्त्रोतों के बारे में विचार करना चाहिए क्योंकि मिडिल ईस्ट अक्सर भू- राजनैतिक तनाव से घिर जाते हैं।
इस समिती में घरेलू उत्पादन बढ़ने की भी सिफारिशें की हैं, लेकिन सवाल ये है कि उत्पादन कैसे बढ़ेगा। वैसे भारत में पेट्रोलियम उघोग की जड़ें 158 साल पुरानी हैं जब 1867 में असम के दिगबोई में पहला तेल कुंआ खोजा गया था, लेकिन आज भी भारत को 80 से 85 प्रतिशत तेल बाहर मंगाना पड़ता है। सीधे तौर पर कहा जाए तो पेट्रोल- डीजल के दाम सरकार के हाथ में ही है। टैक्स के कारण पेट्रोल इतना महंगा मिल रहा है।
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