इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज संजीव कुमार सिंह ने बलात्कार के एक मामले में पीड़िता को ही जिस तरह जिम्मेदार ठहरा दिया है, वह न तो न्यायिक गरिमा, और न ही महिला अस्मिता के अनुरूप है। जज ने आरोपी को जमानत देते हुए बेहद असंवेदनहीन तरीके से गैरजरूरी टिप्पणी की है कि पीड़िता ने यह मुसीबत खुद बुलाई! दरअसल उस लड़की का कसूर बस यह था कि देर रात चली एक पार्टी के बाद वह अपने एक परिचित छात्र के घर जाने को राजी हो गई थी। बेशक, बलात्कार सहित किसी भी मामले में फैसला सबूतों के आधार पर कानूनों के दायरे में होता है, लेकिन इधर सुनवाई के दौरान कुछ जजों की ओर से जिस तरह की टिप्पणियां की जा रही हैं, वह न्याय को लेकर संदेह पैदा करते हैं। पखवाड़े भर पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही एक जज ने जब एक नाबालिग के साथ हुई घटना में उसके स्तन छूने या नाड़ा तोड़ने को बलात्कार या बलात्कार की कोशिश मानने से इनकार कर दिया था, तब सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर इस फैसले पर रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में इसे संवेदनहीन और अमानवीय बताया था। जाहिर है, इलाहाबाद से आए इस ताजा फैसले से तो यही लगता है कि हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की नसीहत से कोई सबक नहीं लिया है।
एक और संवेदनहीन फैसला

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!
Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
Popular Posts
हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर में भगदड़,कई लोगों की मौत और लोगों के दबे होने की आशंका
हरिद्वार। उत्तराखंड के हरिद्वार से आज एक दुखद घटना सामने आयी है, रविवार सुबह हरिद्वार…
By
पूनम ऋतु सेन
नक्सलियों को 7 वर्षों से ड्रोन की सप्लाई और ट्रेनिंग देने वाला डबल एजेंट गिरफ्तार
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA ने एक ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी की है जो…
By
आवेश तिवारी
आईआईटी, एमबीए, यूपीएससी, पीएससी परीक्षा में जुटे नौजवान गौर करें
मैं ये मान कर चलता हूं आप सब सफलता के पथ पर अग्रसर हैं। सफल…
By
अपूर्व गर्ग