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लेंस संपादकीय

एक और संवेदनहीन फैसला

Editorial Board
Last updated: April 13, 2025 1:58 pm
Editorial Board
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High court of allahabad
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इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज संजीव कुमार सिंह ने बलात्कार के एक मामले में पीड़िता को ही जिस तरह जिम्मेदार ठहरा दिया है, वह न तो न्यायिक गरिमा, और न ही महिला अस्मिता के अनुरूप है। जज ने आरोपी को जमानत देते हुए बेहद असंवेदनहीन तरीके से गैरजरूरी टिप्पणी की है कि पीड़िता ने यह मुसीबत खुद बुलाई! दरअसल उस लड़की का कसूर बस यह था कि देर रात चली एक पार्टी के बाद वह अपने एक परिचित छात्र के घर जाने को राजी हो गई थी। बेशक, बलात्कार सहित किसी भी मामले में फैसला सबूतों के आधार पर कानूनों के दायरे में होता है, लेकिन इधर सुनवाई के दौरान कुछ जजों की ओर से जिस तरह की टिप्पणियां की जा रही हैं, वह न्याय को लेकर संदेह पैदा करते हैं। पखवाड़े भर पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही एक जज ने जब एक नाबालिग के साथ हुई घटना में उसके स्तन छूने या नाड़ा तोड़ने को बलात्कार या बलात्कार की कोशिश मानने से इनकार कर दिया था, तब सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर इस फैसले पर रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में इसे संवेदनहीन और अमानवीय बताया था। जाहिर है, इलाहाबाद से आए इस ताजा फैसले से तो यही लगता है कि हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की नसीहत से कोई सबक नहीं लिया है।

TAGGED:Allahabad High courtcourt judgementEditorialHigh Court judges
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