द लेंस ब्यूरो। छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में मूलभूत सुविधाओं की कमी और मरीजों को हो रही परेशानियों का मामला अब हाई कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया है। बुधवार को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने अस्पतालों में रीएजेंट की कमी और जांच सुविधाओं के अभाव को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। अगली सुनवाई मई माह में निर्धारित की गई है।
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मरीजों की मजबूरी: बाहर भटकना पड़ रहा
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि सरकारी अस्पतालों में रीएजेंट की कमी के कारण ब्लड टेस्ट, यूरीन टेस्ट और थायराइड जैसे जरूरी जांच नहीं हो पा रही हैं।मजबूरन मरीजों को निजी लैब या अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है, जिससे उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। यह स्थिति न सिर्फ गरीब मरीजों के लिए मुसीबत बन रही है, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रही है।
High Court Notice to CGMSC: कोर्ट की सख्त टिप्पणी “मशीनें शो पीस नहीं”
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “महंगी मशीनें अस्पतालों में सिर्फ शो पीस बनकर नहीं रहनी चाहिए।” कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती है, तो फिर मरीजों को बुनियादी जांच के लिए क्यों भटकना पड़ रहा है? जजों ने व्यवस्था में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया।
मुख्य सचिव और CGMSC से मांगा जवाब
हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव और CGMSC को निर्देश दिया है कि वे इस मामले में शपथ पत्र दाखिल करें। शपथ पत्र में यह बताना होगा कि सुविधाओं की कमी को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं और आगे की प्रक्रिया क्या होगी। कोर्ट ने साफ कर दिया कि वह इस मामले को हल्के में नहीं लेगा और मरीजों के हित में त्वरित कार्रवाई की उम्मीद करता है।
स्वतः संज्ञान से शुरू हुई कार्रवाई
दरअसल, यह पूरा मामला तब सुर्खियों में आया जब हाई कोर्ट ने सरकारी अस्पतालों की बदहाल स्थिति को लेकर स्वतः संज्ञान लिया। मीडिया रिपोर्ट्स और मरीजों की शिकायतों के आधार पर कोर्ट ने इस गंभीर समस्या पर सुनवाई शुरू की। अब सभी की नजरें मई में होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां मुख्य सचिव और CGMSC के जवाब के आधार पर आगे का फैसला लिया जाएगा।