नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बुधवार 9 अप्रैल को लगातार दूसरी बार रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती का निर्णय लिया है। अब यह दर घटकर 6 प्रतिशत हो गई है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने जानकारी दी कि समिति के सभी सदस्यों ने तत्काल प्रभाव से यह बदलाव लागू करने के पक्ष में मतदान किया। रेपो रेट घटने से होम लोन, ऑटो लोन और कॉर्पोरेट ऋण लेने वालों के लिए ब्याज दरें सस्ती हो सकती हैं, जिससे आम उपभोक्ता को भी राहत मिलेगी।
फरवरी में आरबीआई ने रेपो रेट को 0.25% घटाकर 6.25% किया था। यह कटौती मई 2020 के बाद पहली बार की गई थी। जबकि फरवरी 2023 में अंतिम बार रेपो रेट में वृद्धि की गई थी, जब इसे 6.25% से बढ़ाकर 6.5% किया गया था।
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आरबीआई गवर्नर ने बताया कि वैश्विक अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए वित्तीय वर्ष 2026 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर का अनुमान 6.7% से घटाकर 6.5% कर दिया गया है। यह संशोधन अमेरिका द्वारा भारतीय आयातों पर 26% पारस्परिक शुल्क लगाए जाने के निर्णय के बाद किया गया है, जो 9 अप्रैल से प्रभावी होगा। नीतिगत और व्यापारिक अनिश्चितताओं को देखते हुए GDP अनुमान में 20 आधार अंकों की कटौती की गई है।
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। बैंक इस ऋण के आधार पर आम ग्राहकों को होम लोन, कार लोन जैसे विभिन्न कर्ज मुहैया कराते हैं। रेपो रेट घटने से बैंकों के लिए ऋण लेना सस्ता होता है, जिससे ग्राहकों को भी सस्ती दरों पर लोन देने में आसानी होती है। आरबीआई की यह नीति समीक्षा हर दो महीने में होती है।