द लेंस डेस्क। छत्तीसगढ़ से झारखंड को जोड़ने वाली नेशनल हाइवे 343 के चौड़ीकरण की कवायद अब तेज हो गई है, लेकिन इस प्रोजेक्ट के साथ एक बड़ी पर्यावरणीय चिंता भी सामने आ रही है। इस हाइवे के विस्तार के लिए बलरामपुर जिले में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई का प्लान तैयार किया गया है। आंकड़ों के मुताबिक, राजस्व भूमि पर 4,552 हरे-भरे पेड़ और वनभूमि पर 14,551 पेड़ काटे जाने हैं। यानी कुल मिलाकर 19,103 पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलने वाली है। राजस्व भूमि पर लगे पेड़ों को काटना भी शुरु कर दिया गया है, जबकि अभयारण्य क्षेत्र को फिलहाल इस कटाई से बाहर रखा गया है।
हाइवे चौड़ीकरण का प्लान
NH-343 छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले को झारखंड से जोड़ने वाली एक मुख्य सड़क है। ये हाइवे इस इलाके की कनेक्टिविटी को बेहतर करने और व्यापार-आवागमन को आसान बनाने के लिए इसे चौड़ा किया जा रहा है। अभी इसकी चौड़ाई कम होने की वजह से भारी वाहनों और ट्रैफिक को दिक्कत होती है। इसी के चलते सरकार ने इसे टू लेन से फोर लेन करने का फैसला लिया है। प्रोजेक्ट के तहत सड़क को मजबूत करने के साथ-साथ कई जगहों पर नए बायपास और पुल भी बनाए जाएंगे। लेकिन इस विकास की कीमत पर्यावरण को चुकानी पड़ रही है, क्योंकि इसके लिए बड़े पैमाने पर जंगल और हरियाली को उजाड़ा जा रहा है।
पेड़ों की कटाई का दायरा
बलरामपुर जिला, जो सतपुड़ा पहाड़ियों और घने जंगलों के लिए जाना जाता है, इस प्रोजेक्ट से सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। जानकारी के मुताबिक राजस्व भूमि के 4,552 पेड़ काटे जाएंगे। ये वो इलाके हैं जो वन विभाग के सीधे नियंत्रण में नहीं हैं, बल्कि सरकारी या निजी जमीन पर आते हैं। यहाँ कटाई का काम शुरू हो चुका है, और तेजी से पेड़ों को हटाया जा रहा है। वहीं वनभूमि पर 14,551 पेड़ों की कटाई होनी है।
ये जंगल क्षेत्र हैं, जो वन्यजीवों और जैव-विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, अभी यहाँ कटाई शुरू नहीं हुई है, क्योंकि इसके लिए वन विभाग से मंजूरी और पर्यावरणीय क्लीयरेंस की जरूरत है।
बलरामपुर में कुछ हिस्सा अभयारण्य के तहत आता है, जिसे फिलहाल कटाई से छूट दी गई है। ये इलाका वन्यजीव संरक्षण के लिए संवेदनशील है, और यहाँ कोई बदलाव करने से पहले सख्त नियमों का पालन करना होगा। कुल मिलाकर 19,103 पेड़ों का कटना इस इलाके के पर्यावरण पर भारी असर डाल सकता है।