द लेंस डेस्क। छत्तीसगढ़ में भारतमाला प्रोजेक्ट के नाम पर हुए कथित घोटाले ने हड़कंप मचा दिया है। सड़क बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण में भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद राज्य सरकार हरकत में आई है। राजस्व विभाग के सचिव अविनाश चंपावत ने रायपुर सहित 11 जिलों कलेक्टरों को फटाफट जांच शुरू करने का आदेश दिया है जिनमें धमतरी, कांकेर, कोण्डागांव, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा शामिल है, आरोप है कि अधिकारियों और भू-माफियाओं ने मिलकर मुआवजे का खेल खेला जिससे करोड़ों रुपये का चूना लगा।
विधानसभा में हंगामा, CBI की मांग
यह मामला विधानसभा में भी गूंजा। कांग्रेस ने इसे ‘350 करोड़ रूपये का घपला’ बताते हुए CBI जांच की मांग की। नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने सरकार को घेरा और कहा, “कलेक्टरों को हटाना काफी नहीं, सच बाहर लाने के लिए CBI चाहिए।” उन्होंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर दखल की गुहार भी लगाई। लेकिन सरकार ने इसे आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सौंप दिया।
भारतमाला का सपना और सच्चाई
भारतमाला केंद्र की बड़ी योजना है जिसका मकसद हाईवे बनाकर देश को जोड़ना है। छत्तीसगढ़ में रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर इसका हिस्सा है। इसके लिए जमीन ली गई लेकिन यहीं से खेल शुरू हुआ। फर्जी दस्तावेज, गलत मुआवजा और रिकॉर्ड में हेरफेर के आरोप लगे। मिसाल के तौर पर रायपुर के गांवों में 43 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ी गई। विपक्ष का दावा है कि कुल नुकसान 350 करोड़ से ज्यादा हो सकता है।
कैसे हुआ खेल?
फर्जी मालिकों को पैसा: असली मालिकों की जगह नकली लोगों को मुआवजा दे दिया गया।
जमीन का बंटवारा: अधिसूचना के बाद जमीन के टुकड़े कर ज्यादा पैसा वसूला गया।
दोहरा अधिग्रहण: पहले ली गई जमीन को फिर से अधिग्रहित दिखाकर लाखों हड़पे गए।
EOW और कलेक्टर एक्शन में
EOW ने कमर कस ली है और पुरानी रिपोर्ट्स मंगवाई हैं। कलेक्टरों को हर सौदे की छानबीन करने को कहा गया है, कागजों की हेराफेरी से लेकर मुआवजे की गड़बड़ी तक। रायपुर में एक डिप्टी कलेक्टर और पटवारी पहले ही निलंबित हो चुके हैं। सरकार का दावा है कि भू-माफिया और भ्रष्ट अफसरों को बख्शा नहीं जाएगा।