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The Lens > दुनिया > डायर वुल्फ की 12 हजार साल बाद धरती पर वापसी, वैज्ञानिकों का कमाल, देखें वीडियो
दुनिया

डायर वुल्फ की 12 हजार साल बाद धरती पर वापसी, वैज्ञानिकों का कमाल, देखें वीडियो

Poonam Ritu Sen
Last updated: April 9, 2025 6:14 pm
Poonam Ritu Sen
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द लेंस डेस्क। क्या आपने कभी सोचा था कि ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ का विशालकाय डायर वुल्फ हकीकत में जंगल में दहाड़ सकता है? अमेरिका की एक बायोटेक कंपनी ने यह सपना सच कर दिखाया है, डलास की कोलोसल बायोसाइंसेज ने 12 हजार साल पहले विलुप्त हो चुके डायर वुल्फ को फिर से जिंदा कर दुनिया को हैरत में डाल दिया। तीन शावक जिनमें दो नर, रोमुलस और रेमुस और एक मादा जिसका नाम खलीसी रखा गया है ,अब ये वुल्फ इस धरती पर सांस ले रहे हैं।

डायर वुल्फ: वो शिकारी जो लौट आया

डायर वुल्फ कोई साधारण भेड़िया नहीं था। हिमयुग का यह बादशाह अपने विशाल आकार मजबूत जबड़ों और घने सफेद फर के लिए जाना जाता था। यह आज के ग्रे वुल्फ से 25% बड़ा था और 140 पाउंड (लगभग 64 किग्रा) तक भारी था। उत्तरी अमेरिका के जंगलों में यह मैमथ और बाइसन जैसे विशाल जानवरों का शिकार करता था लेकिन 12,000 साल पहले यह धरती से गायब हो गया।

कैसे हुआ यह जादू?
कोलोसल की टीम ने पुराने डीएनए को खोजा जिसमें 13,000 साल पुराना दांत और 72,000 साल पुरानी खोपड़ी मिली। फिर ग्रे वुल्फ की कोशिकाओं में जीन एडिटिंग का जादू चलाया। इसके बाद CRISPR तकनीक से सफेद फर, बड़े कद और ताकतवर मांसपेशियों वाले जींस को वापस लाया गया। इन कोशिकाओं से भ्रूण तैयार किए गए और कुत्तों के गर्भ में डाले गए। नतीजा? 1 अक्टूबर 2024 को रोमुलस और रेमुस पैदा हुए और 30 जनवरी 2025 को खलीसी ने जन्म लिया और इनके नाम भी हॉलीवुड फिल्म ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ से लिए गए हैं।

शावक कहां और कैसे हैं?
ये तीनों शावक अभी अमेरिका के एक सीक्रेट जंगल में 2,000 एकड़ की जगह पर रह रहे हैं। 10 फीट ऊंची बाड़, ड्रोन और गार्ड उनकी हिफाजत कर रहे हैं। अभी छह महीने के ये शावक 80 पाउंड ( लगभग 36 किग्रा ) के हैं और गाय, हिरण व घोड़े का मांस चट कर जाते हैं लेकिन खबर यह है कि ये बच्चे पैदा नहीं करेंगे।

कोलोसल का बड़ा सपना
यह कंपनी रुकने वाली नहीं है। पहले वूली मैमथ, डोडो और तस्मानियाई टाइगर को लाने का प्लान बनाया और अब डायर वुल्फ को सच कर दिखाया। हाल ही में इसने लुप्तप्राय रेड वुल्फ के चार शावक भी तैयार किए। कंपनी के बॉस बेन लैम कहते हैं, “हमारा लक्ष्य सिर्फ जानवरों को वापस लाना नहीं बल्कि प्रकृति और इंसानों की सेहत को बेहतर करना है।” यह तकनीक भविष्य में गेम-चेंजर हो सकती है।

बहस भी शुरू
हर बड़े कदम के साथ सवाल उठते हैं। कुछ वैज्ञानिक कहते हैं, “यह शुद्ध डायर वुल्फ नहीं बल्कि ग्रे वुल्फ का अपग्रेड वर्जन है।” कई पूछ रहे हैं, क्या हमें प्रकृति के साथ ऐसा खिलवाड़ करना चाहिए? क्या ये शावक आज के जंगलों में ढल पाएंगे? फिर भी टोनी रॉबिंस और पेरिस हिल्टन जैसे सितारे इस कंपनी के साथ हैं जिसकी कीमत आसमान छू रही है।

डायर वुल्फ की उत्पत्ति की नींव 1996 में स्कॉटलैंड के रोसलिन इंस्टीट्यूट में जन्मी डॉली (दुनिया की पहली क्लोन भेड़) से प्रेरित है। डॉ. इयान विल्मुट और उनकी टीम ने एक वयस्क भेड़ की स्तन कोशिका से डीएनए लिया, उसे खाली अंडे में डाला, और सरोगेट भेड़ के गर्भ में रखकर 5 जुलाई को डॉली को पैदा किया, जिसका नाम मशहूर गायिका डॉली पार्टन से प्रेरित था, छह साल तक जीवित रहने वाली डॉली ने छह बच्चों को जन्म दिया लेकिन 14 फरवरी 2003 को फेफड़ों की बीमारी और गठिया से उसकी मृत्यु हो गई। फिर भी उसने यह साबित कर दिया कि वयस्क कोशिकाओं से क्लोनिंग संभव है और उसी तकनीक की बदौलत आज डायर वुल्फ के शावकरोमुलस, रेमुस और खलीसी हमारे बीच हैं। यह कहानी दिखाती है कि विज्ञान का एक कदम भविष्य को कैसे बदल सकता है।

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पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की उत्सुकता पत्रकारिता की ओर खींच लाई। विगत 5 वर्षों से वीमेन, एजुकेशन, पॉलिटिकल, लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर सेन्ट्रल इण्डिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अलग-अलग पदों पर काम किया है। द लेंस में बतौर जर्नलिस्ट कुछ नया सीखने के उद्देश्य से फरवरी 2025 से सच की तलाश का सफर शुरू किया है।
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