- एआईएडीएमके के दबाव में निर्णय लेने की चर्चा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्रीलंका दौरे, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन द्वारा वक्फ के विरोध में सुप्रीम कोर्ट जाने के ऐलान और भाषा के सवाल पर पैदा हुए गतिरोध के बीच तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष पद से के.अन्नामलाई ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आगे अध्यक्ष नहीं बनने की बात कही है। वे पार्टी के लिए बिना पद के काम करेंगे।
अन्नामलाई का इस्तीफा एआईएडीएमके (AIADMK) महासचिव के. पलानीस्वामी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद सामने आया है। माना जा रहा है कि अन्नामलाई ने यह इस्तीफा शाह के कहने पर दिया है। गौरतलब है कि के. अन्नामलाई पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और अन्नादुरई के बड़े आलोचकों में से एक रहे हैं। वह द्रविड़ों के समर्थन से बनने वाले किसी भी गठबंबंधन को लेकर हमेशा विरोध में रहे हैं।
लोकसभा में भाजपा नहीं कर पाई थी गठबंधन
विश्लेषक मानते हैं कि अन्नामलाई ही वो वजह है जिसके कारण एआईएडीएमके भाजपा के साथ गठबंधन से परहेज करती रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके और भाजपा के बीच कोई भी गठबंधन नहीं हो पाया। दोनों पार्टियां लोकसभा चुनाव अलग-अलग लड़ीं और उन्हें भारी पराजय का सामना करना पड़ा।
संघर्षरत रहे अन्नामलाई
यह भी सच है कि लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु से भले ही एक भी सीट न जीत पाई हो लेकिन पूर्व IPS अन्नामलाई द्वारा डीएमके (DMK) के विरुद्ध छेड़े गए अभियान से भारतीय जनता पार्टी के वोट में सम्मानजनक बढ़ोतरी हुई है। अन्नामलाई ने भाजपा के लिए प्रदेश में तमाम मुद्दों पर आंदोलन किए।
अलग समुदाय के व्यक्ति को मिलेगी जिम्मेदारी
नहीं भूला जाना चाहिए कि अन्नामलाई पश्चिमी तमिलनाडु के गोंडोर समुदाय से आते हैं। माना जाता है कि उनकी जगह किसी और क्षेत्र के व्यक्ति को अवसर देने से चुनाव में भाजपा की स्थिति मजबूत हो सकती है।
अब क्या कहते हैं अन्नामलाई
इस्तीफे के बाद अन्नामलाई ने कहा है, “मैं चाहता हूं भारतीय जनता पार्टी का भविष्य मजबूत हो। इस पार्टी को मजबूत बनाने में बहुत लोगों का योगदान है। मैं पार्टी में कोई पद नहीं लूंगा लेकिन भाजपा के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।”