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The Lens > देश > वक्‍फ संशोधन बिल पर राज्‍यसभा में चर्चा में खड़गे ने कहा – अल्‍पसंख्‍यकों का हक छीनने की कोशिश
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वक्‍फ संशोधन बिल पर राज्‍यसभा में चर्चा में खड़गे ने कहा – अल्‍पसंख्‍यकों का हक छीनने की कोशिश

Danish Anwar
Last updated: April 4, 2025 2:53 am
Danish Anwar - Journalist
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दिल्‍ली। बुधवार को लोकसभा में पास होने के बाद वक्‍फ संशोधन बिल को गुरुवार को राज्‍यसभा में पेश किया गया। अल्‍पसंख्‍यक मंत्री किरेन रिजिजू ने बिल पेश करते हुए कहा कि वक्‍फ संशोधन बिल के लिए बनाई गई जेपीसी ने कई शहराें में जाकर अपना समय दिया है। मैं जेपीसी के सभी सदस्‍यों को धन्‍यवाद देना चाहता हूं। आखिर में बिल पर अपनी बात रखने वालों को धन्‍यवाद दूंगा। रिजिजू ने 2006 में सच्‍चर कमेटी की रिपोर्ट पर अपनी बात रखते हुए कहा कि वक्‍फ बोर्ड को डिजिटल होना चाहिए। 8.9 लाख एकड़ की संपत्ति वक्‍फ बोर्ड के पास है, लेकिन इसमें से सिर्फ 163 करोड़ की कमाई हो रही है। अगर सही से मैनेज करते तो 12 हजार करोड़ रुपए की कमाई होनी थी।

रिजिजू ने आगे कहा कि इससे पहले भी जेपीसी बनी थी। के रहमान खान अध्‍यक्ष बने तो उन्‍होंने कई मुद्दों की अनुशंसा की थी। वक्‍फ बोर्ड का इंंफ्रास्‍ट्रक्‍चर काफी नहीं है। इससे पहले तीन कमेटियों ने वक्‍फ बोर्ड को लेकर सुझाव दिए। सभी के सुझावों को इसमें शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में बिल लेकर आ रहे हैं। 1954 में वक्‍फ एक्‍ट बना। 1995 में विस्‍तृत बिल आया। इसी बिल में संशोधन कर रहे हैं। हमें ये सुझाव चाहिए कि वक्‍फ को ताकतवर बनाने के लिए क्‍या कर सकते हैं। रिजिजू ने यूपीए के 2013 बिल का जिक्र किया और कहा कि आनन फानन में बिल लाकर दिल्‍ली की 123 प्रॉपर्टी वक्‍फ बोर्ड को सौंप दी गई। उन्‍होंने कहा कि उसी वजह से इस बिल को लाया जा रहा है। यह बिल नए सवेरे की तरह है। हमने इसे उम्‍मीद (UMMEED) नाम दिया है।

बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्‍यक्ष और राज्‍यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ये बिल अल्‍पसंख्‍यकों को तंग करने के लिए ये बिल लाया गया है। ऐसा कोई बहुत बड़ा बदलाव 1995 के एक्‍ट में नहीं किया जा रहा है। बिल में कुछ ऐसे संशोधन भी डाल दिए गए जिन्‍हें शामिल नहीं किया जाना चाहिए था। विपक्ष के सभी लोगों ने बिल को स्‍वीकार नहीं किया। इसका मतलब इसमें अभी भी खामियां हैं। हर वक्‍त जिसकी लाठी उसकी भैंंस करना सही नहीं होता। ये दान देने और दान लेने का मामला है। दान देने वाला किसी भी धर्म का हो सकता है। इसे ध्‍यान में रखपने की जगह ये सरकार अल्‍पसंख्‍यकों के हकों को छीनने की कोशिश कर रहे हैंं।

कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने बिल रखे जाने के बाद सबसे पहले चर्चा की शुरुआत की। उन्‍होंने कहा कि इनको 2024 में लोकसभा में बहुमत नहीं मिलने के बाद ही यह बिल याद आया है। अब ये ध्रुवीकरण कर रहे हैं। ये बिल गलत सूचना फैलाने का काम कर रहा है। रिजिजू कह रहे हैं कि गरीब की मदद करेंगे। आप 10 साल से सत्ता में हैं, तब क्यों नहीं किया

कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि ये बिल मुस्लिमों के लिए न तो नई उम्मीद है और न ही उम्मीद की नई किरण है। सच्चाई ये है कि वक्फ ट्रिब्यूनल भी सरकार का है। भाजपा के पास लोकसभा, राज्यसभा और देश की किभी विधानसभा में एक भी मुस्लिम महिला सदस्य नहीं है और ये बात करते हैं कि वे मुस्लिम महिलाओं की भलाई सोचते हैं। इमरान ने कहा- ‘मैं आज जद पर हूं तो इतना खुश-गुमान न हो चराग सब के बुझेंगे, हवा किसी की नहीं।’

बीआरएस सांसद के आर सुरेश रेड्डी ने कहा कि हम इस बिल के खिलाफ हैं। ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ और साउथ सभी जगहों के वक्फ बोर्ड को बुलाकर बिल समझाना चाहिए था। बताया गया कि ये प्रोग्रेसिव बिल है। लेकिन ऐसा नहीं है। पोलराइजेशन की कोशिश हो रही है। जहां तक करप्शन की बात है हर विभाग में करप्शन हो रही है। लेकिन वक्फ में करप्शन की बात कहकर फसाद खड़ा किया जा रहा है।

निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि मैं कोई विवादित बात नहीं करूंगा। मान लीजिए मैं हिंदू-मुसलिम, सिख या कुछ भी हूं, अपनी संपत्ति दान करना चाहता हूं, मुझे कौन रोक लेगा। अब जो कानून बना है उसमें कहा गया है कि केवल मुस्लिम ही वक्फ को संपत्ति दे सकेगा।

सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि कल लोकसभा में आधी रात तक चर्चा चली और बिल पास हुआ। मैंने सबके भाषण सुने, आज भी सुन रहे हैं। दोनों तरफ से अच्छे भाषण हुए। विपक्ष में बैठे हुए कुछ बना-बिगाड़ नहीं सकते। मैं सरकार से अपेक्षा करता हूं कि उदार बने रहे। सभी से समान व्यवहार करना चाहिए। दुनिया में सबसे बड़ी संख्या मुस्लिम देशों से भी ज्यादा भारत में हैं। अगर इन्हें ये लगने लग जाए कि एकतरफा काम हो रहा है तो ये नहीं होना चाहिए।

कांग्रेस सांसद अभिषेक मुन सिंघवी ने कहा कि संविधान ने जो दिया ये बिल वो छीनने की कोशिश कर रहा है। इसमें संशोधन कम और साजिश ज्यादा है। कानून बराबरी का ना हो तो सत्ता की चालाकी बन जाता है। भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि इस वक्‍फ ने तो ताजमहल पर दावा ठोक दिया था। इसलिए ये बिल बेहद ही जरूरी हो गया था।

पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने कि हमारी पार्टी जनता दल (सेक्युलर) वक्फ संसोधन बिल के समर्थन में है। उन्होंने कहा कि मुझे प्रधानमंत्री को बधाई देनी चाहिए।

भाजपा अध्‍यक्ष और सांसद जेपी नड्‌डा ने कहा- बिल में कहीं राम मंदिर आ रहा है। कहीं कुंभ मेला दिख रहा है। बिहार का इलेक्शन दिख रहा। कहीं एअर इंडिया बिक गया। कहीं केरला का सिनेमा आ गया। ये सब चर्चा को डिरेल करने की कोशिश है। हम यहां चर्चा करने आए हैं।

शिवेसना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा कि यह सरकार जितनी मुस्लिमों की चिंता कर रही है उतनी चिंता तो जिन्ना ने भी नहीं की थी।  दोनों सदनों में गरीब मुस्लिमों की बहुत चिंता हो रही है। हिंदु और मुस्लिम दोनों इससे डरे हुए हैं। जब भी बेरोजगारी, मंहगाई का मुद्दा आता है तो 2-3-5 दिन आप चर्चा कर लेते हो। आपको मुस्लिमों की चिंता कब से होने लगी। आप लोग उनको चोर बोलते हो, बोलते हो की मुस्लिम आपकी जमीन छीन लेंगे, गले की चेन छीन लेंगे। फिर आप ही उनकी चिंता करने लगते हो। राउत ने कहा कि 2025 के पहले की मस्जिद-मदरसों को हाथ नहीं लगाने की बात कही जा रही है, लेकिन आप तो जमीन खरीदने-बेचने की बात पर आ गए हैं। ये आप करके ही रखेंगे। अयोध्या में 13 हजार एकड़ जमीन का घोटाला हुआ। केदारनाथ में 300 किलो सोना गायब हो गया। आप अपनी जमीनों की रक्षा नहीं कर पा रहे, मुस्लिमों की जमीन की रक्षा की बात करते हो। डिफेंस की जमीनों की रक्षा आप नहीं कर पा रहे हो। आपको अगर जमीन की चिंता है तो कश्मीर के हमारे पंडित भाई हैं, 40 हजार कश्मीरी पंडितों को उनकी जमीन वापस नहीं मिली। सरकार को उनकी चिंता करनी चाहिए। चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा किया है, सरकार को उस जमीन की चिंता करनी चाहिए।

झामुमो सांसद सरफराज अहमद ने कहा कि इतना बुल्डोजर आप चला चुके हो कि अब वक्फ बिल से मुस्लिमों का भला नहीं होगा। उनका भला शिक्षा, रोजगार से होगा। वक्फ किसी की जमीन नहीं हड़पता है। वक्फ की जमीनों पर बहुत कब्जा हुआ है। सरकार कहती है कि बिल को लेकर देशभर से सुझाव आए, लेकिन कितने सुझाव आए ये सरकार ने नहीं बताया।

आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि लालू यादव के एक वीडियो को कट करके चलाया गया। उनके भाषण हैं जो संसद के अर्काइव में हैं। उन्हें भी चलाया जाना चाहिए था। दोनों पक्ष आए हैं तैयारियों के साथ हम गर्दनों के साथ, वे आरियों के साथ। बहुमत आजादी की गारंटी नहीं होता है। जहां चाहे खुदाई करके चीजों को तलाशा जा रहा है। इस देश के हिंदुओं को मुसलमानों की आदत है। मुसलमानों को हिंदुओं की आदत है। इस आदत को मत बदलिए। मनोज झा ने भाषण के अंत में अदम गोंडवी की कविता पढ़ी। उन्होंने कहा- हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है दफन है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िए, गर गलतियां बाबर की थीं, जुम्मन का घर फिर क्यों जले ऐसे नाजुक वक्त में हालात को मत छेड़िए, हैं कहां हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज खां मिट गए सब, कौम की औकात को मत छेड़िए, छेड़िए इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के खिलाफ दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िए।

बीजेडी सांसद मुजीबुल्ला खान ने कहा कि सरकार को मुस्लिमों का डर दूर करना चाहिए। वक्फ संशोधन विधेयक में गैर मुस्लिम को रखा जाएगा। इसको लेकर मुसलमान चिंतित हैं। भगवान जगन्नाथ के सबसे बड़े भक्त मुस्लिम थे। रथयात्रा जब होती है तो भगवान की यात्रा को एक मजार के सामने रोका जाता है, क्योंकि भगवान जगन्नाथ अपने भक्त से मिलते हैं। ये उड़ीसा में होता है। ऐसा भाईचारा भारत में क्यों नहीं हो सकता। किसी को नमाज पढ़ने से नहीं रोकना चाहिए, ऐसा क्यों होता है।

आप के सांसद संजय सिंह ने कवि उदय प्रताप की पंक्तियों से अपने शुरुआत की है। उन्होंने कहा- ‘ना मेरा है या ना तेरा है, ये हिंदुस्तान सबका है नहीं समझी गई ये बात तो नुकसान सबका है जो आकर मिल गई इसमें वो नदियां दिखाई नहीं देती महासागर बनाने में मगर एहसान सबका है’। उन्‍होंने कहा कि देश और सदन को गलत जानकारी दी जा रही है। 1 करोड़ सुझाव आने की बात कही गई। पूरे देश को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए। इससे साफ होगा कितने लोग वक्फ संशोधन विधेयक के पक्ष में थे और कितने विरोध में थे। धार्मिक संपत्तियों पर कब्जा किया जाने का काम किया जाएगा। ये संपत्तियां ये लोग अपने दोस्तों को देंगे। ये सरकार बोलती है कि ये मुस्लिमों का भला कर रहे हैं। पूरी सरकार में एक भी मुस्लिम नहीं है। आपने मुख्तार अब्बास नकवी और शहनवाज हुसैन की राजनीति खत्म कर दी।

टीएमसी के नदीमुल हक ने कहा कि बुनियादी बात ये है कि ये मजहबी मसला नहीं है। ये संवैधानिक मसला है। हमारे लिए संविधान एक किताब नहीं है। यह हमें रास्ता दिखाती है। वक्फ संशोधन बिल में कई खामियां है। इसमें गैर-मजहबी फैसले हैं।

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दानिश अनवर, द लेंस में जर्नलिस्‍ट के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 13 वर्षों का अनुभव है। 2022 से दैनिक भास्‍कर में इन्‍वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग टीम में सीनियर रिपोर्टर के तौर पर काम किया है। इस दौरान स्‍पेशल इन्‍वेस्टिगेशन खबरें लिखीं। दैनिक भास्‍कर से पहले नवभारत, नईदुनिया, पत्रिका अखबार में 10 साल काम किया। इन सभी अखबारों में दानिश अनवर ने विभिन्न विषयों जैसे- क्राइम, पॉलिटिकल, एजुकेशन, स्‍पोर्ट्स, कल्‍चरल और स्‍पेशल इन्‍वेस्टिगेशन स्‍टोरीज कवर की हैं। दानिश को प्रिंट का अच्‍छा अनुभव है। वह सेंट्रल इंडिया के कई शहरों में काम कर चुके हैं।
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