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The Lens > अर्थ > जानिए, रसोई से लेकर दवाओं तक कितना पड़ेगा रेसीप्रोकल टेरिफ का असर  
अर्थ

जानिए, रसोई से लेकर दवाओं तक कितना पड़ेगा रेसीप्रोकल टेरिफ का असर  

Amandeep Singh
Last updated: April 3, 2025 2:52 pm
Amandeep Singh
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लेंस बिजनेस डेस्‍क। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेसीप्रोकल टेरिफ का ऐलान कर दिया है। ट्रंप ने भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। ट्रंप ने कहा कि भारत अमेरिका पर 52 प्रतिशत टैरिफ लगाता है, इसलिए अमेरिका भी भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा।

ट्रंप की घोषणा से भारत पर दबाव बढ़ गया है। इससे भारत पर असर पड़ सकता है। पिछले कुछ हफ्तों में भारत ने अपने टैरिफ़ सिस्टम में बदलाव किया है। भारत ने 8,500 औद्योगिक वस्तुओं पर आयात शुल्क कम कर दिया है। इनमें अमेरिकी सामान जैसे कि बर्बन व्हिस्की और हार्ले-डेविडसन की महंगी मोटरसाइकिलें शामिल हैं। इससे अमेरिकी राष्ट्रपति की एक पुरानी शिकायत दूर हो गई है। वहीं अमेरिका द्वारा टेरिफ लगाने से भारत के विभिन्न सेक्टर्स प्रभावित हो सकते हैं। द लेंस में आपको बताएंगे कि ट्रंप के टैरिफ का भारत के सेक्टर्स पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

दवा की कीमतों में पर असर  

भारत अमेरिका को हर साल करीब 12 अरब डॉलर से अधिक की जेनेरिक दवाएं निर्यात करता है। जोकि अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली जेनेरिक दवाओं का लगभग 47 प्रतिशत हिस्सा है। इन दवाओं में सेर्ट्रालीन, (डिप्रेशन की दवा), हाइपरटेंशन और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों के लिए दवाएं शामिल हैं। रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने की वजह से इन दवाओं पर शुल्क का दवाव बढ़ सकता है, जिससे दवा कंपनियों की लागत भी बढ़ जाएगी। इसका असर भारत में भी दवाओं की कीमतों पर पड़ सकता है, जिसके चलते ऐसा हो सकता है कि आपको अपनी जेब ज्यादा ढ़ीली करनी पड़ सकती है और इससे आपकी मेडिकल खर्च की योजना भी प्रभावित होगी।

रसोई पर भी बढ़ा दबाव

दैनिक जीवन में इस्तेमाल होनी वाली चीजें आपके रसोई पर भी असर डाल सकती हैं। खाद्य तेल जैसे नारियल और सरसों तेल पर 10 प्रतिशत से ज्यादा टैरिफ अंतर की संभावना है। इससे इनकी कीमतें बढ़ेंगी, जो आपकी रसोई के बजट को सीधे तौर प्रभावित करेंगी। साथ ही, निर्यात में कमी से किसानों की आय पर भी असर दिखाई देगा।

डेयरी उत्पादों में भी इजाफा

ट्रंप की टैरिफ घोषणा के बाद से भारतीय शेयर बाजार में डेयरी सेक्टर में तेजी देखने को मिल रही है, ये बड़ी वजह है कि डेयरी सेक्टर में 38 प्रतिशत से ज्यादा टैरिफ अंतर की बात है। घी, मक्खन और दूध पाउडर जैसे उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं। निर्यात प्रभावित होने से भारत में इनकी कीमतें सस्ती हो सकती हैं, लेकिन किसानों की कमाई घटने से अप्रत्यक्ष रूप से आपकी जेब पर बोझ बढ़ेगा।

गहनें, कपड़े और टेक्सटाइल भी महंगे

भारत अमेरिका को लगभग12 अरब डॉलर के सोने, चांदी और हीरे निर्यात करता है। टैरिफ से ये अमेरिका में महंगे होंगे, लेकिन भारत में सस्ते हो सकते हैं। इससे आपके आभूषण खरीदने के फैसले पर असर पड़ सकता है, साथ ही भारत का टेक्सटाइल निर्यात अमेरिका के लिए अहम है। टैरिफ बढ़ने से कपड़े और वस्त्रों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे आपके वार्डरोब का खर्च बढ़ सकता है।

ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी का बोझ

ऑटोमोबाइल सेक्टर में टैरिफ से गाड़ियों के पार्टस महंगे हो जाएंगे। इससे नई गाड़ियों की कीमतें बढ़ेंगी और मरम्मत का खर्च भी बढ़ेगा, क्योंकि टैरिफ आयातित समान पर लगने वाला शुल्क है। इससे आयात की लागत बढ़ जाती है।  जो की सीधे तौर पर आपके जेब पर असर डालेगी। इसके साथ ही इलेक्ट्रिकल मशीनरी पर टैरिफ से टीवी, फ्रिज और वॉशिंग मशीन जैसे उपकरण महंगे हो सकते हैं। जो आपके घरेलू बजट को प्रभावित करेगा।

टैरिफ से निर्यात घटने पर व्यापार घाटा भी बढ़ जाएगा, जिससे रुपया कमजोर हो सकता है। आयातित सामान महंगे हो सकते हैं और महंगाई बढ़ेगी, जो आपकी रोजमर्रा की खरीदारी पर असर डालेगी।

नौकरियों पर भी असर

फार्मा, टेक्सटाइल और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में निर्यात कम होने से नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं। अगर आप इन सेक्टरों से जुड़े हैं, तो आय घटने से आपकी जेब पर सीधा असर पड़ेगा, जिससे आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

आईटी और फार्मा सेक्टर पर दबाव

भारत का आईटी और फार्मा निर्यात अमेरिका पर निर्भर करता है। टैरिफ से इनकी कमाई घट सकती है, जिससे छंटनी का खतरा बढ़ जाएगा। यह आपकी नौकरी और आय को प्रभावित कर सकता है।

ट्रंप की यह नीति भारत के लिए चुनौतियां तो लाएगी, लेकिन सरकार वैकल्पिक रणनीतियों पर काम कर रही है। फिर भी, इन असरों से आपकी जेब पर पड़ने वाला बोझ नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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