दिल्ली में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने एक बड़े फर्जी फार्मेसी पंजीकरण रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस घोटाले में जाली दस्तावेजों के जरिए फार्मासिस्टों को पंजीकृत किया जा रहा था। ACB ने दिल्ली फार्मेसी काउंसिल के पूर्व रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह एक क्लर्क, 6 दलाल, एक प्रिंटिंग शॉप मालिक, 3 कॉलेज कर्मचारियों और 35 अवैध फार्मासिस्टों सहित 46 लोगों को गिरफ्तार किया है।
ACB की जाँच में खुलासा हुआ कि DPC के पूर्व रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह ने 2020 से 2023 तक अपने कार्यकाल में 4928 फार्मासिस्टों को फर्जी दस्तावेजों पर पंजीकृत किया। यह खेल एक निजी फर्म ‘वीएमसी’ के जरिए चला जिसे बिना टेंडर के काम सौंपा गया। जाली डिप्लोमा और प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र बनाए गए जिन्हें कॉलेज कर्मचारियों ने फर्जी ईमेल से सत्यापित किया। दलाल संजय ने रिश्वत लेकर यह पूरा नेटवर्क चलाया।
फर्जी दस्तावेज: आवेदकों ने अलग-अलग जाली प्रमाण-पत्र अपलोड किए जिन्हें बिना जाँच मंजूरी दी गई।
फर्जी सत्यापन: नकली ईमेल से सत्यापन करवाया गया।
पद से हटने के बाद भी खेल: कुलदीप सिंह ने 16 अगस्त 2023 को हटने के बाद भी 232 पंजीकरण किए।
प्रिंटिंग का धंधा: शाहबाद के नीरज ने फर्जी प्रमाण-पत्र छापे जिनके सबूत ACB ने जब्त किए।
जाँच में पता चला कि कई फर्जी फार्मासिस्ट बिना मैट्रिक भी पास किए दुकानें चला रहे हैं। पहले चरण में 35 अवैध फार्मासिस्ट पकड़े गए हैं बाकी 4893 पंजीकरणों की जाँच जारी है। ACB ने जाली दस्तावेज, कंप्यूटर और प्रिंटर भी बरामद किए हैं।अब तक कुल 46 लोग पकड़े गए जिसमें मुख्य आरोपी कुलदीप सिंह शामिल हैं। इसके लिए POC अधिनियम 1988 के तहत मामला दर्ज हुआ और सतर्कता निदेशालय से मंजूरी माँगी गई फिलहाल शेष पंजीकरणों की पड़ताल तेज है और सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है ।
यह घोटाला दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठाता है। फर्जी फार्मासिस्टों के चलते मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है। ACB का कहना है कि यह रैकेट लंबे समय से चल रहा था और अब इसकी जड़ तक जाने की कोशिश की जा रही है।