द लेंस डेस्क। मलयालम फिल्म L2, एम्पुरान अपनी रिलीज के बाद से ही सुर्खियों में बनी हुई है। पहले इसने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया, लेकिन अब यह एक बड़े विवाद में फंस गई है। RSS ने इसे ‘हिंदू-विरोधी’ करार दिया है, सलमान खान की सिकंदर के साथ इसकी कांटे की टक्कर चल रही है। इस बीच, मोहनलाल ने माफी मांगी, जबकि केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने फिल्म का खुलकर समर्थन किया। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
L2: एम्पुरान, 2019 की ब्लॉकबस्टर लूसिफर की सीक्वल है, जो 27 मार्च 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई। फिल्म में मोहनलाल मुख्य भूमिका में हैं, पृथ्वीराज सुकुमारन ने इसका निर्देशन किया है, और मंजू वारियर व अभिमन्यु सिंह भी अहम किरदारों में नजर आए हैं। रिलीज के बाद फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया। पहले दिन इसने वर्ल्डवाइड 67.50 करोड़ रुपये की कमाई की, जिसमें से केरल से 14 करोड़ रुपये थे। महज दो दिनों में यह 100 करोड़ के क्लब में शामिल हो गई, जिसने इसे 2025 की सबसे बड़ी मलयालम ओपनर बना दिया। हालांकि, यह शानदार शुरुआत ज्यादा समय तक चर्चा में नहीं रही, क्योंकि फिल्म जल्द ही एक राजनीतिक विवाद में फंस गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुखपत्र ऑर्गनाइज़र ने एम्पुरान को ‘हिंदू-विरोधी’ और ‘राष्ट्र-विरोधी’ करार दिया। विवाद का मुख्य कारण फिल्म में 2002 के गुजरात दंगों का चित्रण है। ऑर्गनाइज़र के अनुसार, फिल्म में हिंदुओं को आक्रामक और एकमात्र दोषी के रूप में दिखाया गया है, जबकि गोधरा ट्रेन जलाने की घटना को नजरअंदाज किया गया, जिसमें 59 हिंदू तीर्थयात्रियों की मौत हुई थी। इसके अलावा, फिल्म में एक प्रो-हिंदू पॉलिटिकल ग्रुप को नकारात्मक रूप से दिखाया गया है, जो कथित तौर पर बीजेपी से मिलता-जुलता है। एक सीन में इस ग्रुप को एक डैम तोड़कर दो जिलों की आबादी खत्म करने की सलाह देते दिखाया गया है। साथ ही, मुख्य विलेन का नाम ‘बजरंगबली’ रखा गया है, जो भगवान हनुमान का दूसरा नाम है, इसे हिंदू भावनाओं का अपमान बताया गया।
सोशल मीडिया पर भी यह विवाद खूब गरमाया। एक यूजर, लसिता पलक्कल ने लिखा, “गोधरा में ट्रेन अपने आप नहीं जली, उसे एक समूह ने जलाया था। लेकिन एम्पुरान में उन जिहादियों को व्हाइटवॉश किया गया।” एक अन्य यूजर, युवराज गोकुल ने कहा, “फिल्म में विलेन होम मिनिस्टर और इंटेलिजेंस ब्यूरो हैं, जबकि लश्कर-ए-तैयबा को हीरो दिखाया गया।” इन प्रतिक्रियाओं ने ऑनलाइन और ऑफलाइन बहस को हवा दी, जिससे दर्शक दो धड़ों में बंट गए।
RSS ने न सिर्फ फिल्म की आलोचना की, बल्कि डायरेक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन को भी निशाने पर लिया। ऑर्गनाइज़र ने उन्हें ‘राष्ट्र-विरोधी’ ताकतों की आवाज करार दिया और उनके पिछले प्रदर्शनों जैसे CAA प्रोटेस्ट और ‘Save Lakshadweep’ कैंपेन में हिस्सेदारी को उजागर किया। प्रकाशन ने उनकी पहले रद्द हो चुकी फिल्म वरियामकुन्नन को भी हिंदू-विरोधी बताया। इसके अलावा, ऑर्गनाइज़र ने फिल्म के फंडिंग सोर्स पर सवाल उठाए और एक प्रोड्यूसर के अचानक हटने की वजह को लेकर भी शक जताया। दक्षिणपंथी समूहों ने भी RSS की भावनाओं का समर्थन किया और कहा कि एम्पुरान हिंदू भावनाओं का अपमान करती है और एक ‘विभाजनकारी राजनीतिक एजेंडा’ को बढ़ावा देती है। इस विवाद ने भारत में सिनेमा और विचारधारा के बीच तनाव को एक बार फिर उजागर कर दिया।
बढ़ते विवाद को देखते हुए, मोहनलाल ने 30 मार्च 2025 को फेसबुक पर एक बयान जारी कर माफी मांगी। उन्होंने लिखा, “मुझे पता है कि लूसिफर फ्रैंचाइजी के दूसरे भाग एम्पुरान के निर्माण में कुछ राजनीतिक और सामाजिक विषयों को शामिल किया गया है, जिससे मेरे कई चाहने वालों को परेशानी हुई है। एक कलाकार के रूप में, यह सुनिश्चित करना मेरा कर्तव्य है कि मेरी कोई भी फिल्म किसी भी राजनीतिक आंदोलन, विचारधारा या धार्मिक संप्रदाय के प्रति शत्रुतापूर्ण न हो। इसलिए, मैं और एम्पुरान टीम मेरे प्रियजनों को हुई परेशानी के लिए ईमानदारी से खेद व्यक्त करते हैं, और यह समझते हैं कि इसके लिए जिम्मेदारी हम सभी की है जिन्होंने फिल्म पर काम किया है। हमने मिलकर फिल्म से ऐसे विषयों को हटाने का फैसला किया है।”
मोहनलाल ने आगे कहा, “मैंने पिछले चार दशकों से आप लोगों में से एक के रूप में अपना फिल्मी करियर जिया है। आपका प्यार और भरोसा ही मेरी एकमात्र ताकत है। मेरा मानना है कि मोहनलाल से बड़ा कोई नहीं है…प्यार के साथ, मोहनलाल #L2E #Empuraan।”
सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने भी हस्तक्षेप किया और फिल्म में 17 कटौती करने का आदेश दिया, खास तौर पर गुजरात दंगों से जुड़े सीन्स और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के दृश्यों को हटाया गया। प्रोड्यूसर गोर्कुलम गोपालन ने पुष्टि की, “हमने पृथ्वीराज से कहा कि जरूरी बदलाव करें ताकि किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।” फिल्म का संशोधित संस्करण 31 मार्च 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुका है।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने एक स्क्रीनिंग में हिस्सा लिया और एम्पुरान टीम का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने कहा, “एक लोकतांत्रिक समाज में, एक नागरिक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए। कलाकृति और कलाकारों को नष्ट करने और प्रतिबंधित करने के हिंसक आह्वान फासीवादी दृष्टिकोण की नई अभिव्यक्तियां हैं। वे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन हैं। फिल्में बनाने, उन्हें देखने, उनका आनंद लेने, उनका मूल्यांकन करने, सहमत होने और असहमत होने आदि के अधिकारों को नहीं खोना चाहिए। इसके लिए, इस देश की एकजुट आवाज उठनी होनी चाहिए, जो लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष मूल्यों में निहित है।” विजयन ने संग परिवार पर एम्पुरान के कास्ट और क्रू के खिलाफ “हेट कैंपेन” चलाने का भी आरोप लगाया और इसे “लोकतंत्र के लिए परेशान करने वाला” बताया।
विवाद के बावजूद, एम्पुरान ने बॉक्स ऑफिस पर अपना दबदबा बनाए रखा है। चार दिनों में इसने 10.37 करोड़ रुपये की एडवांस बुकिंग दर्ज की। हालांकि, अब इसका सीधा मुकाबला सलमान खान की सिकंदर से है, जो 30 मार्च 2025 को ईद के मौके पर रिलीज हुई। सिकंदर ने पहले दिन 26 करोड़ रुपये की नेट कमाई की, लेकिन यह सलमान की दूसरी सबसे कम ओपनिंग वाली ईद रिलीज बन गई। इसकी एडवांस बुकिंग 10.09 करोड़ रुपये रही, जो एम्पुरान के चौथे दिन की एडवांस बुकिंग से थोड़ी कम है।
सिकंदर को मिली-जुली समीक्षा मिली है। कुछ फैंस ने सलमान की परफॉर्मेंस को उनकी अब तक की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस बताया, जबकि कुछ ने इसे “आउटडेटेड” करार दिया। फिल्म को रिलीज से पहले ऑनलाइन लीक होने का भी नुकसान हुआ। ट्रेड एक्सपर्ट कोमल नाहटा ने कहा, “फिल्म को 600 से ज्यादा साइट्स से हटाया गया, लेकिन नुकसान हो चुका है।” दूसरे दिन सिकंदर ने सिर्फ 3.68 करोड़ रुपये कमाए, और इसकी हिंदी ऑक्यूपेंसी 8.38% रही। इसके बावजूद, सलमान खान ने एम्पुरान की तारीफ की और कहा, “यह एक शानदार फिल्म है। मैं चाहता हूँ कि लोग एम्पुरान, सिकंदर, और जल्द रिलीज होने वाली जाट सभी देखें।” सवाल यह है कि क्या सिकंदर इस बॉक्स ऑफिस रेस में एम्पुरान को पीछे छोड़ पाएगी?
L2: एम्पुरान का यह विवाद एक बार फिर सिनेमा और विचारधारा के बीच के तनाव को उजागर करता है। फिल्म की सफलता और विवाद दोनों ने इसे सुर्खियों में ला दिया है। एक तरफ, इसने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया, वहीं दूसरी तरफ, इसके कथित राजनीतिक रुख ने इसे विवादों में डाल दिया। मोहनलाल की माफी और फिल्म में कटौती से यह साफ है कि फिल्ममेकर्स ने समझौता करने का रास्ता चुना, लेकिन क्या यह सही कदम है? क्या इससे सेंसरशिप को बढ़ावा नहीं मिलेगा?