म्यांमार और थाईलैंड में शुक्रवार को आए भीषण भूकंप के झटके उत्तर पूर्व भारत के कुछ हिस्सों में भी महसूस किए गए, लेकिन इसकी वजह से सबसे ज्यादा तबाही म्यांमार में हुई है, जिससे उबरने में उसे दशकों लग सकते हैं। थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में कई बहुमंजिला इमारतें ढह गईं, लेकिन म्यांमार में हुई तबाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वहां मरने वालों की संख्या 1000 का आंकड़ा पार कर चुका है। वहां 30 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं। भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं मानवीय सीमाएं को दिखाती हैं, लेकिन म्यांमार की तबाही दिखा रही है कि गृह यद्ध से जूझ रहे इस देश के मिलट्री जुंटा ने कैसे इस आसन्न तबाही की चेतावनियों को नजरंदाज किया है। म्यांमार दो टेक्टोनिक प्लेटों भारतीय प्लेट और यूरेशियाई प्लेट की सीमा पर स्थित है और यह दुनिया के सबसे भूकंपीय रूप से सक्रिय देशों में से एक है। ताजा भूकंप का केंद्र म्यांमार के दूसरे बड़े शहर मांडला के नजदीक जमीन के महज 10 किलोमीटर भीतर था। नतीजतन वहां ढेर सारी इमारतें जिनमें बौद्ध मठ भी शामिल हैं, जमींदोज हो गए। म्यांमार में आई यह एक बड़ी आफत है, जहां पहले ही गृहयुद्ध के कारण लाखों लोगों को बेहद मुश्किल हालात में जिंदगी गुजारनी पड़ रही है। इस समय खासतौर से म्यांमार में मानवीय मदद की जरूरत है और भारत सहित अनेक देश से वहां मदद पहुंच भी रही है।इसके साथ ही विकास की अंधाधुंध दौड़ को रोकने के लिए प्रकृति की ओर से मिल रही चेतावनियों को गंभीरता से लेने की भी जरूरत है।