हरियाणा और महाराष्ट्र में संघ के सफल प्रयोगों की निरंतरता चाहता है भाजपा का शीर्ष नेतृत्व, 2024 के दावों की हवा निकलने के बाद चुनाव प्रबंधन में बढ़ी है संघ की प्रासंगिकता, आरएसएस के स्वयंसेवकों को हाल में मिली है ताकतवर पोजिशनिंग
दिल्ली।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हेडक्वार्टर जा रहे हैं। यह पहली बार होगा कि कोई प्रधानमंत्री अपने पद पर रहते हुए संघ मुख्यालय जाए। प्रधानमंत्री की इस यात्रा पर न केवल भाजपा और संघ की बल्कि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य से इत्तेफाक रखने वाले विश्लेषकों की भी विशेष दृष्टि है।
नागपुर से प्रकाशित होने वाले लोकमत के सिटी इंचार्ज फहीम खान कहते हैं कि इस यात्रा को संघ और बीजेपी के बीच सम्बन्ध दुरुस्त करने की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है लेकिन सच यह भी है कि संघ और बीजेपी के बीच सम्बन्ध कभी इतने खराब नहीं हुए कि किसी पीएम को दौरा करके उसे ठीक करना पड़े। फहीम कहते हैं कि इसे भी पीएम की अन्य यात्राओं की तरह देखना चाहिए।
कब-कब मोदी दिखे संघ के साथ
ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी पहली बार संघ मुख्यालय जा रहे हैं इसके पहले 2012 में बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री उन्होंने संघ मुख्यालय का दौरा किया था। 2014 में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत खुद उनको बधाई देने दिल्ली पहुंचे थे।
अयोध्या में जनवरी 2024 में हुए राममंदिर उद्घाटन समारोह में भी मोदी और भागवत साथ थे। इससे पहले 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर के भूमि पूजन में भी दोनों साथ थे। इन मुलाकातों के दौरान दोनों के बीच कोई व्यक्तिगत बातचीत नहीं हुई थी। लेकिन इस दौरे की बात अलग है। संघ और भाजपा के बीच किसी प्रकार के अन्तर्द्वंद की खबर कभी सतह पर नहीं आती इस बार भी कुछ भी सतह पर नहीं है। यकीनन चर्चाएं इसलिए ज्यादा है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी नागपुर का पहला दौरा कर रहे हैं।
केंद्र सरकार में बढ़ी है आरएसएस की ताकत
इस बात को कहने में कोई दो राय नहीं हैं कि आरएसएस ने हाल के वर्षों में अपने टॉप कैडरों को बहुत चतुराई से ताकतवर जगहों पर आसीन कर दिया है। शीर्ष नेतृत्व से अनबन की खबरों के बावजूद देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने हैं, शिवराज बेहतर स्थिति में हैं, योगी आदित्यनाथ केंद्र के यस मैन न होने के बावजूद मुख्यमंत्री पद पर आसीन हैं।
अब यह कहा जा रहा है कि अगला अध्यक्ष संघी पृष्ठभूमि से ही होगा। यह बात साफ है कि भाजपा आरएसएस की उपेक्षा किसी भी कीमत पर नहीं कर सकती। पसंद न आने के बावजूद भी आरएसएस के तमाम निर्णयों को भाजपा को मानना होगा, वहीं भाजपा भी यह समय-समय पर दिखाती रहेगी कि हम एक स्वतंत्र इकाई हैं। यह एक किस्म की राजनीति है।
2024 के दावों की खुली पोल
दरअसल, जो यह संघ और भाजपा के बीच तल्खियों की बात की जा रही है उसके पीछे 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले का भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा दिया गया वह बयान है, जिसमें उन्होंने 400 पार सीटें आने का दावा करते हुए यह भी कहा था कि बीजेपी अब अकेले चलने में सक्षम है। लेकिन जब परिणाम आए तो बैसाखी के सहारे उन्हें सरकार बनानी पड़ी।
अब संघ के भीतर और बाहर भी यह कहा जा रहा कि उसने 2024 में भाजपा का साथ पुरजोर ढंग से नहीं दिया, नहीं तो भाजपा का हाल यह नहीं होता। हालांकि इस बात में कोई खास दम नहीं दिखता, विपक्ष इसे अफवाह ही बताता है। यकीनन लोकसभा का परिणाम मोदी सरकार के कामकाज पर जनता के मतों से निर्धारित हुआ और संघ की तमाम कोशिशों के बावजूद भी भाजपा को बहुमत नहीं मिल सका।
संघ की मदद से हरियाणा और महाराष्ट्र में अप्रत्याशित जीत
लेकिन एक बार जरूर हुई। पहले हरियाणा और फिर महाराष्ट्र में आरएसएस ने अपने पूरे घोड़े खोल दिए, न केवल प्रचार किया बल्कि वोटर लिस्ट के अपडेट में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सिर्फ इतना ही नहीं दोनों राज्यों में तमाम पंडितों के अनुमानों को धता बताते हुए बीजेपी की सरकार बनवा दी।
यकीनन ऐसे में भाजपा के मौजूदा नेतृत्व को संघ की ताकत का अंदाजा जरूर लग गया होगा और वर्तमान में भाजपा संघ के साथ अपनी तल्खियों और दूरियों को निपटाने की कोशिश पुरजोर ढंग से कर रही। महाराष्ट्र के बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नागपुर दौरे में कुछ भी राजनीतिक नहीं है लेकिन प्रधानमंत्री खुद एक राजनीतिक व्यक्ति हैं तो दौरा राजनीतिक ही होगा यह तय है।
क्या है प्रधानमंत्री का कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ के दफ्तर में कुछ कार्यक्रमों में भाग लेंगे। वह दीक्षा भूमि जायेंगे जहां आंबेडकर ने दीक्षा ली थी। इसके अलावा मोदी हेडगेवार स्मृति मंदिर भी जाएंगे। वह मोहन भागवत के साथ मंच पर भी साथ दिखाई देंगे।
मोदी भी गा रहे आरएसएस के गुणगान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल के दिनों में आरएसएस की तारीफ करते नजर आए हैं फरवरी में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में उन्होंने आरएसएस की तुलना ‘वट वृक्ष’ से की थी। इसके अलावा इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा था, ‘पिछले 100 साल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दुनिया की चकाचौंध से दूर रहते हुए समर्पित भाव से काम किया है और यह मेरा सौभाग्य रहा कि ऐसे संगठन से मुझे जीवन के संस्कार मिले मुझे जीवन जीने का उद्देश्य मिला।’