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‘मेरा काला रंग सात गुना खूबसूरत है’- शारदा मुरलीधरन

Poonam Ritu Sen
Last updated: March 27, 2025 4:54 pm
Poonam Ritu Sen
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तिरुवनंतपुरम। केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने अपने काले रंग को गर्व से अपनाते हुए भारत में रंगभेद और लिंगभेद के खिलाफ एक सशक्त आवाज़ उठाई है। उन्होंने अपने अनुभवों को खुलकर साझा किया और समाज में गहरे बसे रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को चुनौती दी।1990 बैच की आईएएस अधिकारी शारदा ने फेसबुक पर एक भावुक पोस्ट लिखकर न सिर्फ अपनी कहानी बयान की, बल्कि देश में रंगभेद की कड़वी सच्चाई को भी उजागर किया।

“मेरा काला रंग सात गुना खूबसूरत है”

शारदा ने अपनी पोस्ट में लिखा, “कल मेरे मुख्य सचिव कार्यकाल पर एक टिप्पणी सुनी कि यह उतना ही ‘काला’ है, जितना मेरे पति का ‘सफेद’ था। मुझे अपने कालेपन को अपनाना होगा।” यह टिप्पणी उनके पति वी. वेणु के कार्यकाल से की गई तुलना थी, जो उनके पूर्ववर्ती और 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। इस टिप्पणी में न सिर्फ रंग का ज़िक्र था, बल्कि शासन के मूल्यांकन का भी एक छिपा संकेत था।

शारदा ने इसे नजरअंदाज़ करने की बजाय इसे बहस का मुद्दा बनाया और कहा, “हां, मैं काली हूं और काला सात गुना खूबसूरत है।” उन्होंने पोस्ट को पहले हटाया, लेकिन शुभचिंतकों के कहने पर दोबारा साझा किया। उनकी यह पोस्ट अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है, जिसे 1,000 से ज़्यादा लोग पसंद कर चुके हैं और सैकड़ों बार शेयर किया गया है।

शारदा ने अपने बचपन की एक मार्मिक याद साझा की। चार साल की उम्र में उन्होंने अपनी मां से पूछा था, “क्या आप मुझे वापस अपने पेट में डालकर गोरी और सुंदर बनाकर ला सकती हैं?” यह सवाल उनकी उस सोच को दर्शाता है जो उन्हें सालों तक परेशान करती रही कि गोरा रंग ही सुंदरता और स्वीकार्यता का पैमाना है। उन्होंने लिखा, “50 साल से ज़्यादा समय तक मैंने यह माना कि मेरा रंग अच्छा नहीं। मैं गोरी त्वचा से प्रभावित थी और खुद को कमतर समझती थी।”

बच्चों ने दिखाई काले रंग की खूबसूरती

शारदा के बच्चों ने उनकी सोच को बदलने में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने बताया, “मेरे बच्चों ने अपनी काली विरासत पर गर्व किया। उन्होंने मुझे वहां सुंदरता दिखाई जहां मैं कुछ नहीं देख पाती थी। उनके लिए काला शानदार था। उन्होंने मुझे सिखाया कि काला खूबसूरत है।” यह उनके लिए एक भावनात्मक बदलाव का पल था, जिसने उन्हें अपने रंग को गर्व से अपनाने की ताकत दी।

भारत में रंगभेद: एक कड़वी हकीकत
शारदा मुरलीधरन की यह कहानी भारत में रंगभेद की गहरी जड़ों को उजागर करती है। हमारे देश में गोरे रंग को सुंदरता और सफलता से जोड़ा जाता है, जबकि गहरे रंग को अक्सर कमतर समझा जाता है। विज्ञापनों से लेकर फिल्मों तक, गोरेपन की क्रीम और “फेयर” शब्द का इस्तेमाल समाज में इस भेदभाव को बढ़ावा देता है। एक मुख्य सचिव जैसे शीर्ष पद पर बैठी महिला को भी इस टिप्पणी का सामना करना पड़ा, जो दिखाता है कि यह समस्या कितनी गंभीर है।

शारदा ने काले रंग की ताकत को खूबसूरती से बयान किया है उन्होंने कहा, “काला रंग क्यों बुरा माना जाता है? यह ब्रह्मांड का सबसे बड़ा सच है। काला वह रंग है जो सब कुछ सोख लेता है। यह ऊर्जा का सबसे शक्तिशाली रूप है। यह हर किसी पर अच्छा लगता है – ऑफिस का ड्रेस कोड हो, शाम की चमक, काजल की गहराई या बारिश का वादा, सब काले में है।”

शारदा ने अपने पति वी. वेणु को भी श्रेय दिया, जिन्होंने उन्हें इस मुद्दे पर खुलकर बोलने का साहस दिया। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “यह तुलना अप्रत्याशित थी। मेरे पति ने मुझे इसे फिर से पोस्ट करने के लिए प्रेरित किया।” विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने भी उनकी पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, “हर शब्द दिल को छूने वाला है। मेरी मां भी गहरे रंग की थीं।”

कौन हैं शारदा मुरलीधरन?
शारदा मुरलीधरन ने 31 अगस्त 2024 को अपने पति वी. वेणु के रिटायर होने के बाद केरल की मुख्य सचिव का पद संभाला। इससे पहले वे अतिरिक्त मुख्य सचिव (योजना और आर्थिक मामले) थीं। अपने करियर में उन्होंने तिरुवनंतपुरम की जिला कलेक्टर, कुदुंबश्री मिशन की प्रमुख और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की मुख्य संचालन अधिकारी जैसे अहम पदों पर काम किया। वे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी की महानिदेशक भी रह चुकी हैं।

शारदा का मानना है कि रंगभेद और लिंगभेद को खत्म करने के लिए बदलाव घर और स्कूल से शुरू होना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमें इस सोच को उलटना होगा। हमें यह कहना होगा कि काला सुंदर है।” उनकी यह पहल न सिर्फ एक व्यक्तिगत जीत है, बल्कि भारत में रंगभेद के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की शुरुआत भी हो सकती है।

TAGGED:bitter truth indiablack skinindian beauty parameterskerala secretaryracism
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पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की उत्सुकता पत्रकारिता की ओर खींच लाई। विगत 5 वर्षों से वीमेन, एजुकेशन, पॉलिटिकल, लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर सेन्ट्रल इण्डिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अलग-अलग पदों पर काम किया है। द लेंस में बतौर जर्नलिस्ट कुछ नया सीखने के उद्देश्य से फरवरी 2025 से सच की तलाश का सफर शुरू किया है।
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