- भाजपा शासित प्रदेशों में भीड़ के हमलों में दो दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल
- मध्य प्रदेश और बिहार में पुलिस पर हमले की सर्वाधिक घटनाएं
- आवेश तिवारी
देश के अलग अलग राज्यों में पुलिसकर्मियों की मॉब लिंचिंग के सनसनीखेज मामले सामने आ रहे हैं। पिछले एक पखवाड़े में मध्य प्रदेश, बिहार और यूपी में हुई मॉब लिंचिंग में तीन एएसआई और कुछ सिपाहियों की मौत हुई है, वहीं अलग-अलग घटनाओं में भीड़ के हमले में दो दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।
काबिलेगौर है कि यह सारी घटनाएं उस दौर में हो रही हैं, जब यूपी के गाजियाबाद में लोनी के भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर ने दो दिनों पहले एक जुलूस में एसीपी कुंवर अजय कुमार सिंह का गला घोंटने का प्रयास किया। वहीं होली के मौके पर लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजस्वी एक पुलिसकर्मी को जबरन नचाते नजर आए हैं।
मध्य प्रदेश

घटना-1 : एएसआई की लिंचिंग की एक बड़ी घटना मध्य प्रदेश के मऊगंज में घटी है, जिसमें एक दर्जन पुलिसकर्मी घायल भी हुए। मऊगंज में 15 मार्च को एक आदिवासी गांव में युवक की हत्या को छिपाने के लिए पुलिस बल पर हमला किया था।
हमलावरों ने गांव के ही सनी उर्फ राहिल द्विवेदी (32) को किसी बहाने घर बुलाया था, यहां उसे बंधक बना लिया फिर उसकी हत्या कर दी। आरोपियों ने उन पर हमला कर दिया और पुलिसकर्मियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इसमें एएसआई रामचरण गौतम की मौत हो गई। टीआई संदीप भारती, तहसीलदार कुमारे लाल पनिका समेत 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए।
दरअसल, हमलावरों को शक था कि दो महीने पहले उनके परिजन अशोक कोल की दुर्घटना में हुई मौत सनी के द्वारा लापरवाही से गाड़ी चलाने की वजह से हुई थी, पुलिस ने मामले में कार्रवाई नहीं की। हालांकि, पुलिस का कहना है कि अशोक की मौत में सनी की भूमिका नहीं है।
घटना – 2 : उधर इंदौर में होली के दिन एक वकील के खिलाफ हुई एफआईआर से आक्रोशित वकीलों की भीड़ ने पुलिसकर्मियों को दौड़ा लिया। टीआई जितेंद्र यादव भीड़ में फंस गए। मरणासन्न स्थिति में जैसे तैसे उन्हें भीड़ के चंगुल से निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मध्य प्रदेश में अन्य घटनाएं
दमोह और शहडोल में भी पुलिसकर्मियों पर हमले की सूचनाएं मिली हैं। दमोह के देहात थाना में हथियार जब्त करने गई पुलिस पर आरोपियों ने गोलियां चला दीं, जिसमें एक जवान घायल हो गया। वहीं बुधवार रात को शहडोल जिले के बुढ़ार में गोली कांड के आरोपियों की तलाश में कई महिला आरक्षक समेत तीन पुलिसकर्मी पथराव में घायल हो गए।
बिहार

घटना -1 : 14 मार्च को मुंगेर में विवाद सुलझाने गई पुलिस टीम पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया। इस हमले में एसआई संतोष कुमार की मौत हो गई। संतोष शुक्रवार रात शराब पीकर हंगामे की सूचना पर अपनी टीम के साथ नंदलालपुर गांव गए थे। उनके सिर पर लोहे की रॉड से कई बार हमले किए गए। डॉक्टर ने बताया, ‘सिर में 8 शार्प इंजरी के निशान मिले। सिर की हड्डी तक टूट चुकी थी। हमले के बाद पुलिस टीम ने मुख्य आरोपी को पकड़ने जा रही थी, इसी दौरान गाड़ी हादसे का शिकार हो गई। इसमें एसएचओ सहित 4 पुलिसकर्मी घायल हो गए।
घटना- 2 : 12 मार्च को अररिया में अपराधियों को पकड़ने गई पुलिस टीम पर असामाजित तत्वों ने हमला कर दिया। इसी दौरान एएसआई राजीव रंजन गिर गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई। पुलिस टीम पर हमले के आरोपी लोग आरोपी को छुड़ा ले गए।
घटना 3 : 15 मार्च को भागलपुर में पुलिस टीम पर हमला कर दिया, जिसमें 5 पुलिसकर्मी घायल हो गए।
घटना -4 : 16 मार्च को पटना के मनेर थाना क्षेत्र के अंतर्गत होली के दिन कुछ शराबियों ने पुलिस टीम पर पथराव कर दिया और एक सब इंस्पेक्टर की वर्दी फाड़ दी। हमले में एक सिपाही भी घायल हो गया था। पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार करके कई लोगों खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया था।
घटना -5 : 16 मार्च को ही नवादा के रजौली थाना क्षेत्र में पुलिसकर्मी एक मामले की जांच के लिए पहुंचे थे। डीजे बजाकर होली खेल रहे ग्रामीणों ने पुलिस पर हमला कर दिया। इस हमले में दारोगा समेत दो पुलिसकर्मी घायल हो गए।
घटना -6 : 16 मार्च को जहानाबाद में होली के दूसरे दिन सदर थाना क्षेत्र के पास नया टोला मोहल्ले में मटका फोड़ने को लेकर हुए विवाद और पथराव में एक पुलिसकर्मी समेत कई लोग घायल हो गए।
उत्तर प्रदेश

घटना 1 : गाजियाबाद में भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर और उनके समर्थक एसीपी अजय कुमार सिंह के साथ हाथापाई करते हुए गला दबाने की कोशिश करने लगे। बीते दिनों कलश यात्रा के दौरान बवाल में गुर्जर का कुर्ता फट गया था। उन्होंने पुलिस-प्रशासन और अपनी ही सरकार पर आरोप लगाए थे।
घटना 2 : यूपी के अलीगढ़ में कोतवाली क्षेत्र के गांव सवाई रघुनाथपुर में सोमवार शाम को एक तमंचाधारी को पकड़ने गई पुलिस पर लोगों ने हमला कर दिया। दरोगा के सिर पर हथौड़े से प्रहार किया गया। फिर पेट में चाकू से हमला कर दिया गया। अन्य दरोगा व दो सिपाहियों को भी लाठी-डंडों से पीटा गया और आरोपी को छुड़ाकर मौके से भगा दिया गया। थाने से पुलिस बल पहुंचा तो दोबारा आरोपियों ने हमला कर दिया।
पुलिस ने भी खो दी विश्वसनीयता

छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी डी एम अवस्थी का इस मामले पर कहना है कि निस्संदेह देश भर में पुलिसकर्मियों के खिलाफ हिंसक घटनाएं बढ़ी हैं, यहां तक कि हमारे छत्तीसगढ़ में भी ऐसा हुआ है। इसकी दो वजहें समझ में आती हैं। पहला कि मीडिया और दृश्य माध्यमों ने पुलिस की छवि शोषक, उत्पीड़क की बना दी है। दूसरा पुलिस ने खुद भी अपनी विश्वसनीयता खो दी है।
पुलिस पर हमले का मतलब राज्य पर हमला

यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह का कहना है कि इस बात में कोई दो राय नहीं है कि समाज में अपराध बढ़े हैं,अनुशासनहीनता बढ़ी है, अराजकता बढ़ी है। जब किसी पुलिसकर्मी पर हमला होता है तो इसका मतलब यह होता है कि उस राज्य पर हमला हो रहा। ऐसे मामलों में दृढ़ इच्छाशक्ति से गंभीर कार्रवाई होनी चाहिए।