अपात्र लोगों से सरकार ने वसूले 416 करोड़ रुपये
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना में हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सरकार ने 18 मार्च 2025 को प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) के हवाले से बताया कि अब तक 416 करोड़ रुपये उन लोगों से वसूल किए गए हैं, जो इस योजना के लिए पात्र ही नहीं थे। इसके अलावा इसकी जानकारी कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में भी दी है। इनमें डॉक्टर, इंजीनियर, और यहाँ तक कि एक रिटायर्ड IAS अधिकारी भी शामिल था, जिसके पास खेती की जमीन तक नहीं थी, साथ ही, 25 लाख अपात्र लाभार्थियों को चिह्नित किया जा चुका है। दूसरी ओर, योजना के तहत अब तक ₹3.68 लाख करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं और 11 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ मिला है। लेकिन सवाल यह है कि इतने सालों तक यह गड़बड़ी कैसे छिपी रही? और सबसे बड़ी चिंता – कई पात्र किसान आज भी कागजी दिक्कतों के चलते अपनी ₹2,000 की किश्त से वंचित क्यों हैं?
पात्र और अपात्र किसानों के मापदंड
PM-KISAN योजना के तहत पात्रता और अपात्रता के स्पष्ट मापदंड निर्धारित किए गए हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लाभ सही हकदारों तक पहुंचे।
पात्र किसान
1 वे छोटे और सीमांत किसान जो 2 हेक्टेयर (लगभग 5 एकड़) तक की खेती योग्य जमीन के मालिक हों।
2 लाभार्थी परिवार में पति, पत्नी, और नाबालिग बच्चे शामिल हैं। एक परिवार को एक ही लाभ मिलेगा।
3 भारत का नागरिक होना अनिवार्य।
4 जिनकी आय मुख्य रूप से खेती से आती हो और जो उच्च आय वर्ग में न हों।
5 आधार कार्ड, बैंक खाता, और जमीन के स्वामित्व के कागजात जरूरी।

अपात्र किसान
1 जिनके पास खेती योग्य जमीन नहीं है या जो संस्थानों के नाम पर जमीन रखते हैं।
2 आयकर दाता (पिछले वित्त वर्ष में इनकम टैक्स भरा हो), 10,000 रुपये से अधिक मासिक पेंशन पाने वाले, और पेशेवर (डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, CA आदि)।
3 मौजूदा या रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी, PSU कर्मचारी, सांसद, विधायक, या संवैधानिक पद धारक (मल्टी-टास्किंग स्टाफ/ग्रुप D को छोड़कर)।
4 जिन्होंने गलत दस्तावेज या दूसरों की जमीन का इस्तेमाल कर रजिस्ट्रेशन कराया।
5 योजना शुरू में 2 हेक्टेयर से कम जमीन वालों के लिए थी, लेकिन बाद में सभी खेती करने वाले किसानों को शामिल किया गया। फिर भी, उच्च आर्थिक स्थिति वाले बाहर हैं।
अपात्रों को कैसे मिला लाभ?

शुरुआती चरणों में योजना “ट्रस्ट-बेस्ड” थी, जिसमें राज्य सरकारों ने स्व-प्रमाणन के आधार पर लाभार्थियों को रजिस्टर किया। आधार और जमीन के रिकॉर्ड की पूरी जांच नहीं हुई। बिचौलियों और अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी आधार और बैंक खाते बनाए गए। तमिलनाडु का उदाहरण देखें, जहाँ एक शख्स को गलती से 20 किश्तें (₹40,000) मिल गए, क्योंकि उसका नाम सिस्टम से हटा ही नहीं।
शुरुआत में ई-केवाईसी (e-KYC) अनिवार्य नहीं थी, जिससे अपात्र लोग शुरुआती किस्तें ले पाए। एक ही परिवार के कई सदस्यों को अलग-अलग लाभार्थी मान लिया गया, जबकि नियम एक परिवार-एक लाभ का है।
किश्तें क्यों अटक रही हैं?
जबकि सरकार अपात्रों से राशि वसूल रही है, कई पात्र किसान आज भी शिकायत कर रहे हैं कि उनकी किश्तें नहीं मिल रही हैं। 15वीं किश्त (अगस्त-नवंबर 2023) से ई-केवाईसी अनिवार्य है। ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल पहुंच और जागरूकता की कमी से लाखों किसान इसे पूरा नहीं कर पाए।वही कुछ किसानों के पास पुराने या अस्पष्ट जमीन के कागजात हैं, जिसके चलते “भू-सत्यापन” लंबित है। इंटरनेट और स्मार्टफोन की कमी वाले किसानों को PM-KISAN पोर्टल पर स्टेटस चेक करने में दिक्कत होती है। उत्तर प्रदेश में 2.60 करोड़ रजिस्टर्ड किसानों में से केवल 30 लाख ने 2022 तक ई-केवाईसी पूरी की थी, जिससे बाकी कई किस्तों से वंचित रहे।
अब तक ₹416 करोड़ वसूल किए गए हैं, और 25 लाख अपात्र चिह्नित हुए हैं। योजना 2019 में शुरू हुई, लेकिन सख्त सत्यापन 2023 से लागू हुआ। क्या पहले की लापरवाही को रोका जा सकता था? जब अपात्रों को चिह्नित करने में इतनी मेहनत हो रही है, तो पात्र किसानों की किश्तें समय पर क्यों नहीं मिल रही हैं? क्या यह सिर्फ कागजी सुधार है? तकनीकी कदम उठाए गए हैं, लेकिन ग्रामीण स्तर पर जागरूकता और पहुंच अभी भी चुनौती बनी हुई है, सरकार सख्त कदम उठा रही है, पर असली सफलता तभी होगी जब पात्र किसानों को बिना परेशानी के उनका हक मिले।