नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के अल्प संख्यक मोर्चे ने ईद के मौके पर ‘सौगात–ए–मोदी’ बांटने का ऐलान कर दिया है। मुस्लिमों पर अचानक इस मेहरबानी को बिहार और उसके बाद अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी के ऐलान के बाद से विपक्षी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। उनका कहना है कि ये योजनाएं वास्तविक विकास के बजाय चुनावी लाभ के लिए शुरू की गई हैं।
बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केंद्र सरकार इन परियोजनाओं के जरिए एनडीए (बीजेपी-जदयू गठबंधन) को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। पीएम मोदी का हालिया दौरा और इन परियोजनाओं की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब विपक्ष नीतीश सरकार पर कानून-व्यवस्था, बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों को लेकर हमलावर है।
तेजस्वी यादव ने स्पष्ट कहा कि “दिल्ली की जीत के बाद एनडीए बिहार में भी बड़ी जीत का सपना देख रहा है, लेकिन जनता इन जुमलों को समझ चुकी है।” दूसरी ओर, जदयू नेता राजीव रंजन प्रसाद ने दावा किया कि “एनडीए बिहार में 225 सीटें जीतेगा, क्योंकि नीतीश कुमार और मोदी जी का विकास मॉडल जनता को भरोसा देता है।”
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने कहा, “मोदी जी कुंभ मेले और सौगातों की बात करते हैं, लेकिन बेरोजगारी और महंगाई पर एक शब्द नहीं बोलते। ये सौगातें अडानी जैसे बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए हैं, आम जनता के लिए नहीं।” उन्होंने इसे जनता का ध्यान भटकाने की रणनीति करार दिया।
वहीं राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस पर व्यंग्य करते हुए कहा, “सौगात-ए-मोदी का मतलब है चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे और बाद में खाली हाथ। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा चाहिए, लेकिन केंद्र सिर्फ प्रचार में व्यस्त है।” उन्होंने नीतीश सरकार पर भी निशाना साधा, जो इन सौगातों को लागू करने में नाकाम रही है।
कहां से आया सौगात-ए-मोदी
यह शब्द खास तौर पर तब चर्चा में आया, जब पीएम मोदी ने बिहार सहित कई राज्यों में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। बिहार में मार्च महीने मेंपीएम मोदी ने भागलपुरमें20,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शुरुआत की।जिसमें सड़क, रेल, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़ी योजनाएं शामिल थीं। इसे “सौगात-ए-मोदी” के रूप में प्रचारित किया गया। अब ईद के मौके पर भी इसे भुनाने की कोशिश तेज हो गई है।