बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में CBI ने करीब पांच साल बाद क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है। इस केस की जांच में सीबीआई को हत्या के कोई सबूत नहीं मिले। क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया है कि सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की थी। वहीं इस घटना ने एक ऐसी कहानी को जन्म दे दिया जो सच से ज्यादा सनसनी पर टिकी रही। इस कहानी की कथित खलनायक बनाई गईं रिया चक्रवर्ती। एक महिला, जिसे न सिर्फ सोशल मीडिया पर कोसा गया, बल्कि टीवी चैनलों ने भी उसे पहले ही दोषी करार दे दिया।
वो दोषी नहीं, अभियुक्त थी
सुशांत की मौत के बाद मामला शुरू में मुंबई पुलिस के पास था, लेकिन सुशांत के पिता केके सिंह द्वारा बिहार में दर्ज FIR और उसके बाद सीबीआई को जांच सौंपे जाने के बाद इसे हाई-प्रोफाइल बना दिया। रिया चक्रवर्ती, जो सुशांत की गर्लफ्रेंड थीं, उसपर आत्महत्या के लिए उकसाने, ड्रग्स की खरीद-फरोख्त और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप लगे। अगस्त 2020 में सीबीआई ने जांच शुरू की, और इसके साथ ही नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने ड्रग्स एंगल की पड़ताल शुरू की। सितंबर 2020 में रिया को ड्रग्स केस में गिरफ्तार किया गया और उन्हें 27 दिन मुंबई की भायखला जेल में बिताने पड़े। अक्टूबर 2020 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दी, लेकिन तब तक उनकी जिंदगी को मीडिया ने तार-तार कर दिया था।
जब मीडिया ने रिया को दोषी करार दिया
सुशांत की मौत के बाद का माहौल ऐसा था कि पूरा देश टेलीविजन स्क्रीन से चिपक गया। महामारी के दौर में जब लोग घरों में कैद थे, टीवी चैनलों ने इस केस को एक सुनहरा मौके की तरह भुनाया। रिया चक्रवर्ती को आरोपी के बदले अपराधी की तरह चैनलों ने पेश किया। चैनलों पर घंटों बहस चलती रही, जहां एंकर चीख-चीखकर रिया को कई तरह से ट्रोल करते रहे। चैनलों ने इसकी अलग ही कहांनियां गढ़ी, और इसे मसाले की तरह पेश किया।
लोगों की नफरत से खत्म करियर
रिया चक्रवर्ती इस पूरे प्रकरण में अकेली पड़ गई थीं। एक अभिनेत्री, जिसका करियर अभी परवान ही चढ़ रहा था, वह रातोंरात देश के लिए “नफरत की पात्र” बन गई। उनकी गिरफ्तारी के दौरान कैमरे उनके घर के बाहर डेरा डाले रहे। सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ अभियान चलाया गया, जिसमें उन्हें गालियां दी गईं। इसका असर रिया के करियर पर भी पड़ा। 2020 से रिया ने कोई भी फिल्म नहीं कि, कथित तौर ये भी कहा जाता है, फिल्म निर्माताओं ने उनसे दूरी बना ली।
रिया केस की अनसुनी कहानी
रिया की कहानी सिर्फ एक आरोपी की नहीं, बल्कि एक ऐसी महिला की है, जिसे समाज और मीडिया ने समय से पहले दोषी ठहरा दिया। सीबीआई की जांच में यह साफ हो गया कि सुशांत की मौत आत्महत्या थी और इसमें किसी ने उन्हें मजबूर नहीं किया, लेकिन इस नतीजे तक पहुंचने में चार साल लगे, जबकि मीडिया ने चार दिन में ही अपना फैसला सुना दिया था। रिया ने खुद 2020 में गृहमंत्री अमित शाह से निष्पक्ष जांच की मांग की थी, लेकिन उनकी आवाज भी स्टूडियो से उठ रही झूठ की आवाज से दब गई।
TRP के लिए घोंटा सच का गला
इस पूरे मामले में मीडिया की भूमिका बेहद दुखद रही। पत्रकारिता के मूल सिद्धांत. तथ्यों की जांच और निष्पक्षता को ताक पर रख दिया गया। सुशांत की मौत को एक “मर्डर मिस्ट्री” बनाकर पेश किया गया, जिसमें रिया को विलेन बनाना जरूरी था। ताकि रिया को बदनाम कर चैनल की टीआरपी बढ़ाई जा सके।