रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेेस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) के 411 करोड़ के घोटाले में ईओडब्ल्ल्यू ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 5 अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया है। इन पांचों अफसरों 7 दिनों तक ब्यूरो की रिमांड पर रहेंगे। शुक्रवार को सभी को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। इसके बाद शनिवार को सभी को ब्यूरो की टीम ने गिरफ्तार कर लिया।
कॉर्पोरेशन उपकरण के प्रभारी जीएम बसंत कौशिक, डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई, तत्कालीन डिप्टी मैनेजर कमलकांत पाटनवार, बायो मेडिकल इंजीनियर छिरोद रौतिया और दीपक बांधे को गिरफ्तार किया गया है। शनिवार को रायपुर के स्पेशल कोर्ट में पेशी के बाद पांचों अफसरों की ईओडब्ल्यू को सात दिनों की रिमांड मिली है। 28 मार्च तक ये पांचों आरोपी ब्यूरो की रिमांड पर रहेंगे। इन सभी अधिकारियों को पूछताछ के लिए शुक्रवार को ब्यूरो के दफ्तर बुलाया गया था। इसके बाद उन्हें देर शाम गिरफ्तार किया गया था।
जानिए क्या है मामला?
सीजीएमएससी घोटाले में अधिकारियों और कारोबारियों ने सरकार को 411 करोड़ का चूना लगाकर कर्जदार बना दिया। आईएएस और आईएफएस समेत अफसरों ने मिलीभगत कर सिर्फ 27 दिनों में 750 करोड़ रुपए की खरीदी कर ली। इस केस में मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। कॉर्पोरेशन के अधिकारी, मोक्षित कार्पोरेशन, रिकॉर्ड्स और मेडिकेयर सिस्टम, श्री शारदा इंडस्ट्रीज और सीबी कार्पोरेशन ने कम पैसों में मिलने वाले ईडीटीएम ट्यूब और 5 लाख वाली सीबीएस मशीन को तीन से 10 गुना मूल्य पर खरीदा।
कैसे खुली घोटाले की परत
दिसंबर 2024 में पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने दिल्ली में पीएमओ, केंद्रीय गृहमंत्री कार्यालय, सीबीआई और ईडी मुख्यालय जाकर इस घोटाले की शिकायत की थी।
कैसे मिलता था फर्म को टेंडर ?
द लेंस के पास घोटाले से जुड़े दस्तावेज हैं। इसके तहत अधिकारियों ने मोक्षित कार्पोरेशन को 27 दिन में 750 करोड़ का कारोबार दिया। मेडिकल किट समेत अन्य मशीनों की आवश्यकता भी नहीं थी। इसके बावजूद पूरी प्लानिंग के साथ इस घोटाले को अंजाम दिया। मोक्षित कार्पोरेशन और श्री शारदा इंडस्ट्रीज ने कार्टेल बनाकर कॉर्पोरेशन में दवा सप्लाई के लिए टेंडर कोड किया। सीजीएमएससी के तत्कालीन अधिकारियों ने भी कंपनी के मन मुताबिक टेंडर की शर्त रखी, ताकि दूसरी कंपनी प्रतिस्पर्धा में ना आ सके।
जनवरी में ईआडब्ल्यू ने की थी छापेमारी
27 जनवरी को ब्यूरो की टीम ने रायपुर और दुर्ग में मोक्षित कॉर्पोरेशन के ठिकानों पर छापेमारी कार्रवाई को अंजाम दिया था। इसके अलावा हरियाणा के पंचकुला में भी करीब 8 टीमों ने दबिश दी थी। टीम ने घर और दफ्तरों में रेड कर दस्तावेज जब्त किए हैं। इसके साथ ही ब्यूरो ने छापे के दौरान सप्लायर मोक्षित कॉर्पोरेशन के एमडी शशांक गुप्ता के बंगले, फैक्ट्री और पार्टनरों समेत 16 ठिकानों से बड़ी संख्या में दस्तावेज जब्त किए हैं। ब्यूरो की टीम एमडी के रिश्तेदारों और दोस्तों के घरों के साथ कॉर्पोरेशन के दफ्तर में भी जांच करने पहुंची थी।
300 करोड़ रुपए की रीएजेंट की खरीदी
वहीं, रीएजेंट सप्लाई से संबंधित दस्तावेज भी टीम ने जब्त किए गए हैं। जरूरत न होते हुए भी कांग्रेस शासन काल में जनवरी 2022 से 31 अक्टूबर 2023 तक अरबों रुपए की खरीदी की गई। जानबूझकर इतना स्टॉक खरीद लिया गया था कि कॉर्पोरेशन और सभी बड़े अस्पतालों के गोदाम भर गए थे।
इसके बाद पूरी प्लानिंग के साथ सीजीएमएससी की ओर से मोक्षित कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड से 300 करोड़ रुपए के रीएजेंट खरीदकर राज्य के 200 से भी ज्यादा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भेज दिया गया, जबकि उन स्वास्थ्य केन्द्रों में रीएजेंट को उपयोग करने वाली सीबीएस मशीन ही नहीं थी। बता दें रीएजेंट की एक्सपायरी मात्र 2-3 माह की बची हुई थी और रीएजेंट खराब न हो, इसलिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन 600 फ्रिज खरीदने की भी तैयारी में लगी थी। रीएजेंट ऐसे हेल्थ सेंटरों में भेज दिया गया, जहां न लैब थी न तकनीशियन थे।