विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने महिलाओं की मासिक धर्म स्वच्छता के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब देश के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनें लगाना अनिवार्य होगा। यूजीसी ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को 25 मार्च 2025 तक इसकी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
यूजीसी के सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी ने सभी कुलपतियों को पत्र लिखकर कैंपस में वेंडिंग मशीनों के साथ-साथ इंसीनरेटर (अपशिष्ट जलाने की मशीन) लगाने को कहा है। इसका मकसद है मासिक धर्म स्वच्छता में सुधार और महिलाओं के लिए सहायक माहौल तैयार करना। यूजीसी का कहना है कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, और इसके लिए सुरक्षित व सस्ते उत्पादों तक पहुंच जरूरी है, ताकि छात्राओं की पढ़ाई और गतिविधियों में कोई रुकावट न आए।
सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन एक ऑटोमैटिक मशीन है, जो सिक्के डालने पर सैनिटरी पैड उपलब्ध कराती है। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस और सार्वजनिक जगहों के लिए डिज़ाइन की गई यह मशीन महिलाओं को आसानी से स्वच्छ पैड मुहैया कराती है। इससे न सिर्फ सुविधा बढ़ेगी, बल्कि मासिक धर्म से जुड़ी हिचक भी कम होगी।
यूजीसी का यह कदम महिलाओं की शिक्षा और आत्मविश्वास को बढ़ाने की दिशा में एक पहल है। संस्थानों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि कैंपस में ऐसा माहौल हो, जहां छात्राएं बिना किसी परेशानी के अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।