छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित 1975 के आपातकाल के दौरान जेल में रहे राजनीतिक कार्यकर्ताओं को दी जाने वाली पेंशन की बहाली से संबंधित छत्तीसगढ़ लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक को भारतीय जनता पार्टी की राजनीति के बरक्स समझने की जरूरत है, जिसके लिए आपातकाल का दौर कांग्रेस के खिलाफ आज भी एक बड़ा हथियार है। बेशक, आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काला धब्बा है, जिसे लेकर खुद इंदिरा गांधी और कांग्रेस पार्टी तक माफी मांग चुकी थीं। फिर यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जनवरी, 1977 में खुद इंदिरा गांधी ने लोकसभा चुनाव का एलान किया था, जिसमें उनकी पराजय हुई थी। दूसरी ओर भाजपा और आरएसएस आपातकाल को अपने राजनीतिक संघर्ष में तमगे की तरह देखते हैं। भाजपा की राज्य सरकारों ने आपातकाल के दौरान मीसा के तहत जेल में बंद राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए पेंशन की व्यवस्था कर रखी है। छत्तीसगढ़ में पिछली कांग्रेस सरकार ने इसे बंद कर दिया था, तो मौजूदा भाजपा सरकार ने इसे कानूनी जामा पहना दिया है। जहां तक इस देश में लोकतंत्र के संघर्ष की बात है, तो इसकी जड़ें आजादी की लड़ाई से जुड़ी हुई हैं, जिसमें आरएसएस की भूमिका को लेकर सवाल उठते हैं। दरअसल आपातकाल के दौरान लोकतंत्र को पहुंचाए गए नुकसान की चर्चा करने के साथ यह भी देख लेना चाहिए कि आज लोकतंत्र का कैसा क्षरण हो रहा है और संवैधानिक संस्थाओं की क्या दशा है।
लोकतंत्र के ये कैसे सेनानी

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!
Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
Popular Posts
यूएन के 50 से अधिक कार्यकर्ताओं पर इजरायली जेल में अमानवीय अत्याचार, कुत्ते छोड़े, मानव ढाल बनाया
नई दिल्ली। (Inhuman torture in Israeli prison) फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए काम कर रहे संयुक्त…
Recognition for the invisibilized
The 2025 international bookers prize is extraordinary in many respects. It is the first time…
मुंबई 26/11 हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा भारत की गिरफ्त में, साजिशों से जुड़े नए खुलासा होने की उम्मीद
द लेंस डेस्क। मुंबई 26/11 आतंकी हमले के प्रमुख साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को भारत…