रायपुर। रायपुर सिविल कोर्ट में बॉलीवुड के फेमस अभिनेता शाहरुख खान के खिलाफ अधिवक्ता फैजान खान ने केस दर्ज कराया है। शाहरुख खान पर भ्रामक विज्ञापन के जरिए बच्चों को गुमराह करने का आरोप लगाया गया है। साथ ही यूट्यूब इंडिया, नेटफ्लिक्स और एमेजॉन प्राइम वीडियो को भी भ्रामक प्रचार– प्रसार करने का आरोप लगाया गया है। 29 मार्च को शाहरुख खान को कोर्ट में पेश होने के लिए नोटिस भेजा गया है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल अधिवक्ता फैजान खान ने रायपुर सिविल कोर्ट में अभिनेता शाहरुख खान के खिलाफ परिवाद दायर किया गया। इस पर 20 मार्च 2025 को रायपुर दंडाधिकारी कृति कुजूर के कोर्ट में मामले में पहली सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान फैजान खान की ओर से अधिवक्ता विराट शर्मा ने उनका पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि शाहरुख खान द्वारा विमल पान मसाला , फेयर एंड हैंडसम, और रमी के भ्रामक विज्ञापन का प्रचार किया जा रहा है। शाहरुख खान एक सेलिब्रिटी हे , लेकिन इस तरह के भ्रामक विज्ञापनों से देश के युवाओं बच्चों को भ्रमित कर के उनको कैंसर , गरीबी जैसी बीमारियों में धकेला जा रहा है । इस पर लगाम लगाना जरूरी है ।
ओटीटी प्लेटफॉर्म को भी ठहराया गया है जिम्मेदार
भ्रामक विज्ञापनों में प्रचार– प्रसार करने के लिए प्रसिद्ध ओटीटी प्लेटफॉर्म को जिम्मेदार ठहराया गया है। साथ ही फेयर एंड हैंडसम क्रीम, और विमल पान मसाला को इलायची के नाम पर प्रमोट किया जा रहा है। इसमें गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (यूट्यूब इंडिया), अमेज़न इंडिया (प्राइम वीडियो),नेटफ्लिक्स इंडिया, एम्स लिमिटेड (फेयर एंड हैंडसम), आईटीसी लिमिटेड (विमल पान मसाला), हेड डिजिटल वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड (ए23 रमी) भ्रामक विज्ञापन प्रचार के प्लेटफॉर्म है।
केस दर्ज कराने वाले फैजान खान कौन हैं?
पिछले साल 7 नवंबर को शाहरुख खान को जान से मारने की धमकी के मामले में अधिवक्ता फैजान खान सुर्खियों में आए थे। फैजान पर धमकी देने के साथ ही 50 लाख रुपए की मांग करने का आरोप था। मुंबई पुलिस फैजान को ट्रांजिट रिमांड पर मुंबई लेकर गई थी। इस मामले में मुंबई कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैजान को बरी कर दिया था। अधिवक्ता फैजान खान का कहना है कि शाहरुख खान जैसे अभिनेता बच्चों को गुमराह करने का काम कर रहें हैं। विमल इलायची के नाम पर पान मसाला का एड कर रहें हैं। जिससे युवाओं का भविष्य खराब हो रहा है। यह मुकदमा मेरे तथा लाखों बूढ़े,बच्चे, युवाओं के अधिकारों को प्रभावित करने वाले कथित उल्लंघनों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है। मुझे विश्वास है कि न्यायपालिका न्याय सुनिश्चित करेगी।