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इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्‍पणी :  जबरन पायजामे का नाड़ा तोड़ना बलात्कार की कोशिश नहीं, बल्‍कि गंभीर यौन उत्पीड़न

The Lens Desk
Last updated: March 21, 2025 1:02 pm
The Lens Desk
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में रेप की कोशिश के मामले में सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि किसी पीड़िता के स्तनों को छूना या पायजामा का नाड़ा तोड़ने की कोशिश, बलात्कार या बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं आता, बल्कि इसे गंभीर यौन उत्पीड़न का अपराध माना जाएगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट  के न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने कासगंज स्थित विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो कोर्ट) द्वारा जारी समन आदेश को संशोधित करते हुए नए सिरे से समन जारी करने का आदेश दिया है।

मामला यूपी के कासगंज का है आरोपी पवन और आकाश पर आरोप है कि दोनों ने 11 वर्ष की पीड़िता के स्तनों को छुआ, उसकी पायजामे की डोरी तोड़ी और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की। इसी दौरान एक एक राहगीर के आ जाने से पीड़िता बचा ली गई और आरोपी मौके से फरार हो गए। यह मामला पटियाली थाना क्षेत्र में दर्ज किया गया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश में याचिकाकर्ता आकाश, पवन और अशोक पर लगे आरोपों में बदलाव किया है। पहले इन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 18 के तहत मुकदमा चलाया जा रहा था। हालांकि, अब कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इनके खिलाफ पॉक्सो अधिनियम की धारा 9/10 और आईपीसी की धारा 354-बी के तहत कार्यवाही होगी, जो अश्लीलता और जबरन कपड़े उतारने से संबंधित है।

वरिष्‍ठ महिला एडवोकेट ने सीजेआई को लिखा पत्र

न्यायालय ने आंशिक रूप से आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार करते हुए माना कि पवन और आकाश के खिलाफ उपलब्ध साक्ष्य बलात्कार के प्रयास को साबित नहीं करते हैं। इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने संगठन ‘वी द वूमेन ऑफ इंडिया’ की ओर से सीजेआई को पत्र लिखकर मामले का स्वतः संज्ञान लेने और संबंधित न्यायाधीश को आपराधिक मामलों की सुनवाई से हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय गलत संदेश देता है और महिलाओं के खिलाफ अपराधों को हल्का करने जैसा है। मीडिया को दिए बयान में एडवोकेट शोभा गुप्ता ने कहा कि इस आदेश ने कानून की उनकी समझ को झकझोर दिया है,वह गंभीर रूप से परेशान हैं और समाचार रिपोर्ट देखने के बाद टूट गई हैं।

TAGGED:Allahabad High courtcourt judgementpocso act
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