जयपुर | राजस्थान सरकार ने कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए ‘राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक-2025’ को मंजूरी दे दी है। 8 मार्च 2025 को राज्य मंत्रिमंडल ने इसे पास किया, और 19 मार्च को विधानसभा में पेश किया गया। यह विधेयक चर्चा के अंतिम चरण में है और जल्द ही कानून बनने की उम्मीद है। इसका मकसद कोटा जैसे शहरों में कोचिंग के बढ़ते व्यावसायीकरण को रोकना और छात्रों को तनावमुक्त माहौल देना है।
नए नियम के तहत 50 से अधिक छात्रों वाले सभी कोचिंग संस्थानों का पंजीकरण अनिवार्य होगा, और बिना पंजीकरण संचालन पर सख्त कार्रवाई होगी।
इस विधेयक के प्रमुख प्रावधान छात्रों के हित में हैं। कोचिंग संचालक अब मनमानी फीस नहीं वसूल सकेंगे, फीस की पूरी जानकारी देनी होगी और इसे 4 किस्तों में लेना होगा। अगर कोई छात्र बीच में कोचिंग छोड़ता है, तो बची हुई फीस माफ होगी, और अतिरिक्त जमा राशि वापस करनी पड़ेगी।
कक्षाएँ 5 घंटे से ज्यादा नहीं चलेंगी, और सरकारी शिक्षकों को कोचिंग में पढ़ाने पर रोक लगेगी। साथ ही, भ्रामक विज्ञापनों पर पाबंदी, काउंसलिंग की सुविधा और सप्ताह में एक दिन छुट्टी अनिवार्य होगी। नियम तोड़ने पर पहली बार 2 लाख और दूसरी बार 5 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा, बार-बार उल्लंघन पर पंजीकरण रद्द और संपत्ति जब्ती तक हो सकती है।
छात्रों की भलाई के लिए राज्य स्तर पर एक पोर्टल और 24×7 हेल्पलाइन शुरू होगी, जो मानसिक स्वास्थ्य सहायता और शिकायतों के लिए होगी। राजस्थान कोचिंग संस्थान प्राधिकरण और जिला समितियाँ इसकी निगरानी करेंगी। यह कदम कोटा में बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं के बाद उठाया गया है, जहाँ 2024 में 29 छात्रों ने दबाव के चलते जान दी थी। विधानसभा से पास होने के बाद यह कानून कोचिंग उद्योग में बड़े बदलाव ला सकता है।