नई दिल्ली। महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा था, इसलिए वहां भीड़ भी खूब हुई। इसकी वजह से भगदड़ भी हुई। लेकिन, समझने वाली बात ये है कि भगदड़ में कितने लोग मारे गए और कितने घायल हुए इसका डेटा अबतक सामने नहीं आया है । 17 मार्च मंगलवार को संसद में कार्यवाही चल रही थी। इसी बीच गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भगदड़ में हुई मौत के सवाल का जवाब दे रहे थे। इससे ये बात सामने आई कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास मेले में हुई भगदड़ में मारे गए लोगों का कोई डेटा ही नहीं है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा – ऐसे आयोजनों में धार्मिक सभाएं और भीड़ प्रबंधन ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ बनाए रखने से संबंधित है, जो राज्य का विषय है।
‘भगदड़ समेत किसी भी तरह की आपदा की जांच करना और मृतक श्रद्धालुओं और घायलों के परिवारों को आर्थिक सहायता देना भी संबंधित राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए राज्य सरकारें सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई भी डेटा केंद्रीकृत रूप से नहीं रखा जाता है।’ इससे ये बात तो साबित हो जाती है, कि केन्द्र सरकार के पास इसका डेटा ही नहीं है।
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल और किरसन नामदेव ने भगदड़ में मरने वालों और घायलों की संख्या के बारे में पूछा था। उन्होंने इसके कारणों की जांच के लिए उठाए गए कदमों और जिम्मेदार लोगों का पता लगाने के लिए न्यायिक जांच की मांग की। साथ ही पीड़ितों और उनके परिजनों को कोई सहायता प्रदान किए जाने के बारे में भी पूछा था। सवाल में यह भी पूछा गया था कि क्या ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कोई कदम उठाए गए हैं?
इसके जवाब में राय ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो दोनों ने भीड़ प्रबंधन पर दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनका उपयोग राज्य सरकारों को अपने स्वयं के तंत्र विकसित करने के लिए करना चाहिए। राय ने कहा, ‘गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी किया है, जिसमें उन्हें अपने स्वयं के मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने और उपयुक्त अधिकारियों के लिए एक चेकलिस्ट तैयार करने के लिए इन टेम्पलेट्स का उपयोग करने की सलाह दी गई।