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लेंस संपादकीय

आग से मत खेलिए

The Lens Desk
Last updated: March 18, 2025 7:32 pm
The Lens Desk
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मुगल बादशाह औरंगजेब के मकबरे को लेकर नागपुर में भड़की हिंसा को काफी हद तक काबू भले ही पा लिया गया है, लेकिन इससे पता चल रहा है कि सांप्रदायिक नफरत की दीवारें कितनी ऊंची होती जा रही हैं। जिस तरह की आगजनी और पत्थरबाजी की घटना हुई है, वह नागपुर का मिजाज नहीं है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस सहित उनके कई मंत्रियों ने कहा है कि विहिप और बजरंग दल ने औरंगजेब का पुतला दहन किया था, लेकिन कुछ लोगों ने अफवाह फैला दी कि पुतले के साथ मुस्लिमों के धार्मिक प्रतीक भी जलाए गए थे, जिससे हिंसा भड़क गई। दूसरी ओर यह खबर भी है कि कथित रूप से धार्मिक प्रतीक जलाए जाने के बारे में पता चलने पर मुस्लिम समुदाय ने भाजपा और विहिप के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी। अव्वल तो हिंसा को किसी भी रूप में जायज नहीं ठहराया जा सकता, किसी को भी कानून अपने हाथों में लेने का हक नहीं है। मुख्यमंत्री और गृहमंत्री फड़नवीस के गृहनगर में हुई इस घटना ने पुलिस की नाकामी को उजागर कर दिया है। अफसोस यह है कि फड़नवीस को इस बात का अफसोस है कि वह राष्ट्रीय स्मारक घोषित औरंगजेब के मकबरे की सुरक्षा करने को बाध्य हैं! दरअसल इस घटना को उस सिलसिले की कड़ी के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें देश में इन दिनों अतीत के बदनुमा पन्नों को उघाड़कर मौजूदा सवालों को ढंकने की कोशिशें हो रही हैं।

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