नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के दौरान शून्यकाल में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ के आयोजन को लेकर लोकसभा को संबोधित किया। इस दौरान विपक्ष ने भी महाकुंभ से जुड़े कुछ सवाल पीएम मोदी से पूछे। नियमों का हवाला देकर स्पीकर ने विपक्षी सांसदों को शांत रहने की सलाह दी, जिस पर हंगामा हुआ। पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहीं भी महाकुंभ में हुई भगदड़ का जिक्र नहीं किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए जनता का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह भगीरथ ने गंगा को धरती पर लाने के लिए अथक प्रयास किए थे, उसी तरह इस महाकुंभ के आयोजन में भी वैसा ही समर्पण और प्रयास देखने को मिला। पूरे विश्व ने महाकुंभ के माध्यम से भारत की महानता और विशाल संस्कृति को अनुभव किया। यह आयोजन जनता की शक्ति, उसके संकल्प और उसकी प्रेरणा का प्रतीक था।
पीएम मोदी के संबोधन के बाद विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया। विपक्ष ने प्रधानमंत्री के बयान पर सवाल उठाने की अनुमति न मिलने पर नाराजगी जताई और सदन में ‘तानाशाही बंद करो’ के नारे लगाए।
विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की। स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि नियमों के अनुसार प्रधानमंत्री के संबोधन पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता है, जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया।
लगातार बढ़ते हंगामे को देखते हुए लोकसभा अध्यक्ष को हस्तक्षेप करना पड़ा, लेकिन हंगामा शांत नहीं हुआ। जिसके बाद लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 1 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
संसद में इस हंगामे के बाद राजनीतिक गलियारों में भी गर्मागर्मी देखने को मिल रही है। विपक्षी दलों ने सरकार पर संवादहीनता और असहमति को दबाने का आरोप लगाया, जबकि सत्तारूढ़ दल ने विपक्ष पर सदन की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाया।