[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
गलतफहमी न पालें, चंद्र ग्रहण देखने से नहीं होता कोई दुष्प्रभाव
मंत्री केदार कश्यप ने लकवागस्त चतुर्थश्रेणी कर्मचारी को मारे कई थप्पड़
Regent Procurement Scandal: मोक्षित कॉर्पोरेशन की दो आलीशान कारें जब्‍त
आतंकी फंडिंग मामले में 6.34 लाख रुपये की संपत्ति जब्त
इच्छा मृत्यु मांगने वाले BJP नेता से मिले सीएम साय, अब एम्‍स में चल रहा इलाज
The Bengal Files पर बोले नेताजी के परपोते चंद्र कुमार बोस, ‘फिल्म में राजनीतिक हस्तक्षेप ठीक नहीं’
कर्नाटक चुनाव आयोग अध्यक्ष ने कहा- “लोकतंत्र में बैलेट पेपर सर्वोत्तम प्रथा”
बिलासपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, मैट्रिक सर्टिफिकेट ही उम्र निर्धारण का अंतिम आधार
Chhattisgarh Drug Racket: नव्या मलिक और विधि अग्रवाल जेल भेजी गईं, 15 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में
भारत में लॉन्च हुई वियतनाम की EV CAR VinFast, 2028 तक मुफ्त चार्जिंग के अलावा और क्‍या है खास?
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
लेंस संपादकीय

कांशीराम की विरासत

सुदीप ठाकुर
Last updated: March 15, 2025 6:33 pm
सुदीप ठाकुर
Share
SHARE

दलित चिंतक कांशीराम की 91वें जयंती के मौके पर उनकी अनुयायी और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने जातिगत जनगणना की मांग दोहराई है, जिसके राजनीतिक निहितार्थ स्पष्ट हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि वह खुद अपनी नैतिक-राजनीतिक आभा खो चुकी हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि समकालीन भारत के राजनीतिक चिंतकों की जब भी चर्चा होगी, कांशीराम को दलितों और वंचितों के हक के लिए लड़ने वाले मौलिक चिंतक के रूप में याद किया जाएगा। यह कांशीराम ही थे, जिन्होंने एक दलित स्कूल शिक्षिका मायावती की शिनाख्त ऐसी उभरती नेता के रूप में की थी, जिसने देश के सबसे बड़े सूबे की कमान तक संभाली। मगर आज बहुजन समाज पार्टी अपने अस्तित्व को लेकर संघर्ष कर रही है, तो इसकी जिम्मेदार भी मायावती ही हैं, जिन्होंने भले ही अभी अपने भतीजे को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, लेकिन कुनबापरस्ती को बढ़ावा देने से गुरेज नहीं किया। वास्तविकता यह है कि बसपा आज कांशीराम की विचारधारा से बहुत दूर हो चुकी है, जबकि यह बसपा संस्थापक ही थे, जिन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त जाति की जटिल संरचना को न केवल ठीक से समझा, बल्कि यह स्पष्ट लाइन भी रखी कि, जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी! इसलिए हैरत नहीं कि प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी तक उन्हें याद कर रहे हैं। कांशीराम की जयंती पर मायावती खुद को भले ही “लौह महिला” बता रही हों, लेकिन उन्हें आत्ममंथन करने की जरूरत है कि मान्यवर कांशीराम के सपनों को लोकसभा के रास्ते ही अमल में लाया जा सकता है, जहां बसपा का आज एक भी सांसद नहीं है!

TAGGED:BSPkaanshiramLoksabhamayawati
Previous Article मास्टर ब्लास्टर ने रायपुर में मनाई होली, वीडियो में देखें सचिन के मस्ती के रंग
Next Article आयुष्मान भारत योजना : उम्र सीमा 60 साल और इलाज राशि 10 लाख करने का प्रस्ताव

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय पर लगाया प्रतिबंध, बताया अवैध, इसराइल के खिलाफ कार्रवाई से था नाराज

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय आईसीसी पर प्रतिबंध लगाने का आदेश…

By The Lens Desk

छत्तीसगढ़ दौरे पर सचिन पायलट, बोले- भाजपा मजहब के नाम पर लोगों को बांटना चाहती है, माफी मांगना चाहिए

रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी सचिन पायलट रविवार से  दो दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर हैं। पायलट…

By Lens News

यमुना का जलस्तर खतरनाक स्तर पर,दिल्ली में बाढ़ का खतरा मंडराया

लेंस डेस्क। दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है जिससे दिल्ली…

By पूनम ऋतु सेन

You Might Also Like

लेंस संपादकीय

बर्बर और शर्मनाक

By Editorial Board
लेंस संपादकीय

बेपरवाह नौकरशाही

By The Lens Desk
Indian diplomacy
लेंस संपादकीय

आसान नहीं “स्थायी समाधान”

By Editorial Board
PM Kisan 20th Installment
लेंस संपादकीय

जरूरत रोजगार पैदा करने की है

By Editorial Board
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?