करीब साढ़े छह दशक बाद होली और रमजान के जुमे की नमाज इस बार एक दिन पड़ रहे हैं, तो यह सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बनने का एक खूबसूरत क्षण है, लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों से आ रही खबरें आशंकाएं पैदा कर रही हैं। दरअसल पिछले कुछ वर्षों में हिंदुत्व और बहुसंख्यकवाद के नाम पर देश को जिस अंधी सुरंग की ओर धकेला जा रहा है, उसमें हैरत नहीं हुई जब संभल के सीओ के मुस्लिमों को चेतावनी देते भड़काऊ बयान का समर्थन खुद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। हालत यह हो गई है कि उत्तर प्रदेश के एक मंत्री ने यहां तक कह दिया है कि जिन्हें रंग पसंद न हो, वे पाकिस्तान चले जाएं! दरअसल मस्जिदों पर नहीं, बल्कि हमारे सामूहिक विवेक पर तिरपाल डाले जा रहे हैं। हाल में ऐसी घटनाएं शामिल आई हैं, जब उन्मादी भीड़ ने मस्जिदों पर चढ़ककर अपने शौर्य का प्रदर्शन करने से गुरेज नहीं किया। होली और रमजान जैसे त्योहार तो भाईचारे का प्रतीक हैं, लेकिन खासतौर से उत्तर प्रदेश से आ रही खबरें चिंता में डाल रही हैं, जहां भारी संख्या में पुलिस बलों को तैनात किया जा रहा है। इन सबके बीच मीडिया की भूमिका पर भी चर्चा जरूरी है, जिसके लिए सांप्रदायिक तनाव भी सिर्फ एक तमाशा है। बेशक कानून व्यवस्था राज्यों की जिम्मेदारी है, लेकिन हालात जिस तरह के बन रहे हैं, उसमें केंद्र को बिना देर किए हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।