रायपुर। आम तौर पर स्वास्थ्य मंत्री किसी अस्पताल मेडिकल कॉलेज, लैब, ब्लड बैंक या सरकारी भवन का उद्घाटन करते दिखते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में कुछ अनोखा हुआ है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय (Pt. JNM college) में कई निर्माण कार्यों का उद्घाटन किया, जिनमें चिकित्सा महाविद्यालय के नवनिर्मित प्रवेश द्वार का रिबन काटना भी शामिल था। यह प्रदेश में अपने तरह का पहला मामला माना जा रहा है, जो सरकारी मेडिकल शिक्षा की बदहाली पर सवाल उठाता है।

उद्घाटन किए गए कार्यों में चिकित्सा महाविद्यालय के नवनिर्मित प्रवेश द्वार(पं. नेहरू मेडिकल कालेज), नवीन छात्र-छात्रावास(शांति नगर – एकता हॉस्पिटल के बाजू वाली गली से), क्लीनिकल फॉरेंसिक मेडिसिन एवं टॉक्सिकोलॉजी यूनिट (अम्बेडकर अस्पताल स्थित सीएमओ ऑफिस के बगल में) का लोकार्पण शामिल हैं लेकिन नया हॉस्टल कॉलेज परिसर से 3 से 3.5 किलोमीटर दूर शांतिनगर में किराए की बिल्डिंग में बनाया गया है जिसमें सिर्फ 120 बेड हैं। छात्रों का कहना है कि 2022, 2023 और 2024 बैच को प्राथमिकता मिलेगी, लेकिन अभी भी करीब 650 सीटों की कमी बनी हुई है।
गौरतलब है कि प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हॉस्टल संकट सालों से गहरा रहा है। रायपुर के Pt. JNM कॉलेज में पुरानी जर्जर इमारतें, पानी की कमी, गंदगी और मच्छरों की समस्या आम है। कई छात्र 5 से 10 हजार रुपये किराया देकर बाहर रहने को मजबूर हैं। इस साल जुलाई में डॉक्टर्स डे कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने मुख्यमंत्री के सामने विरोध प्रदर्शन किया था, क्योंकि 820 छात्रों में से 524 को हॉस्टल नहीं मिला। लड़कियों के हॉस्टल में सीसीटीवी और वार्डन की कमी से सुरक्षा का खतरा बना हुआ है।

कॉलेज परिसर में बने छात्रावास
इस मामले पर द लेंस ने छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चिकित्सा प्रकोष्ठ अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता से बात की उन्होंने बताया की ‘कांकेर, महासमुंद, कोरबा जैसे मेडिकल कॉलज परिसरों में छात्र-छात्रावास निर्माणाधीन और प्रस्तावित बिल्डिंग में सभी प्रकार के रहवासी परिसर प्रस्तावित नहीं है जिससे मरीजों के देखभाल और इलाज की गुणवत्ता में कमी आती है और शिक्षक और छात्र छात्राएं किराए के भवनों में रहने को मजबूर हैं, यदि छात्र-छात्रावास इसी कॉलेज परिसर में बन जाए तो मेडिकल कॉलेज और मरीजों के देखरेख में बढ़ोतरी होगी।’
पूरे प्रदेश के 10 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हजारों छात्र-छात्रा बिना हॉस्टल के हैं। सरकार ने मेडिकल सीटें तो बढ़ाईं लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान नहीं दिया। कॉलेज परिसर में वर्षों से बन रहा नया हॉस्टल भवन तीन साल से रुका पड़ा है। ठेकेदारों की पात्रता बदलने और निर्माण की लागत में बढ़ोतरी होने पर अब तक टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं हो पायी है। निर्धारित समय 2022-23 था लेकिन काम अधर में लटका है।
JDA ने की स्थायी हॉस्टल व्यवस्था की मांग
रायपुर के पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में हॉस्टल संकट पर जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (JDA) ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल का धन्यवाद तो किया, लेकिन साथ ही गहरी नाराजगी भी जताई। JDA अध्यक्ष डॉ. रेशम सिंह ने कहा कि किराए की बिल्डिंग में 120 बेड की वैकल्पिक व्यवस्था तो की गई, लेकिन अभी भी 650 से ज्यादा छात्र बाहर पीजी में रहने को मजबूर हैं, जहां छोटे-छोटे कमरों में दो-दो छात्रों को ठूंसा जा रहा है। उन्होंने मंत्री से अपील की कि प्रदेश के सबसे बड़े और पुराने मेडिकल कॉलेज में छात्रों के लिए तत्काल स्थायी हॉस्टल व्यवस्था की जाए, ताकि NEET पास करने वाले मेधावी छात्रों को पढ़ाई में दिक्कत न हो।

1 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने डॉक्टर्स डे पर रुके कार्यों को जल्द पूरा करने की घोषणा की थी और ठेकेदारों से जवाब तलब किया था, लेकिन थर्ड पार्टी जांच में ड्राइंग के अनुसार काम न होने की रिपोर्ट आई। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन बार-बार आवाज उठा रहा है। छात्रों का कहना है कि NEET क्लियर करने के बाद भी ऐसी हालत में पढ़ाई करना बेहद मुश्किल है। यह संकट छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।

