रायपुर। नितिन नबीन भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए तो छत्तीसगढ़ के भाजपाई उत्साहित हैं। नितिन नबीन अभी तक छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी ही थे।
दिलचस्प यह है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी इस पद पर आने से पहले छत्तीसगढ़ के ही प्रभारी थे। जेपी नड्डा भी तब अध्यक्ष बने जब उनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में फिर से भाजपा की सरकार बनी और अब श्री नबीन के नेतृत्व में ही छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनी है। उन्हें भी पार्टी के भीतर एक अच्छे संगठक के रूप में माना जाता है।

छत्तीसगढ़ भाजपा के एक वरिष्ठ नेता छगन मूंदड़ा कहते हैं कि छत्तीसगढ़ भाजपा के नेताओं को श्री नबीन के साथ काम करने का खूब मौका मिला और तभी यह नजर आ रहा था कि पार्टी में उनके जैसे युवा नेता को उनकी क्षमताओं और सांगठनिक अनुभव के कारण बड़े अवसर मिलेंगे ही।
उन्होंने कहा कि इस चयन से यह साफ है कि भाजपा जैसी पार्टी में नतीजे देने वालों की मेहनत की कद्र है। नितिन नबीन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना राजनीतिक प्रेक्षकों में भी चर्चा का विषय है।
दरअसल नितिन नबीन का पूरा नाम नितिन नबीन सिन्हा है यानि भाजपा ने इस चयन में किसी भी तरह के जातीय आग्रहों को तवज्जो नहीं दी और एक सवर्ण नेता को राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की कमान सौंपी है। लेकिन एक और मुद्दा है जिस पर आलोचकों की नजर है और वो है वंशवाद।
भाजपा, कांग्रेस में नेहरू गांधी परिवार के संदर्भ में वंशवाद को बड़ा मुद्दा बनाती है, इस परिवार पर आरोप उछालने का कोई मौका नहीं छोड़ती है लेकिन अब नितिन नबीन का नाम भी उन भाजपा नेताओं की कतार में शामिल हो गया जो पार्टी में राजनीति की अगली पीढ़ी हैं।
उनके पिता नवीन किशोर सिन्हा कई बार के भाजपा विधायक रह चुके हैं।उनके निधन के बाद ही पिता की सीट से नितिन नबीन को चुनाव लड़वाया गया और वे जीते। नितिन नबीन अभी कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं ।
भाजपा अपने अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर पा रही थी और लंबे समय से जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ाती आ रही थी। इसे लेकर पार्टी को विपक्ष की आलोचनाओं और सवालों का भी सामना करना पड़ रहा था। अब नितिन नबीन के चयन के बाद पार्टी के सामने यह सवाल होगा कि क्या यह वंशवाद नहीं है?
बीजेपी को पहले ही केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह से लेकर धर्मेंद्र प्रधान, डॉ रमन सिंह जैसे नेताओं तक को लेकर वंशवाद के सवालों का सामना करना ही पड़ता है। पार्टी में पहले ही ऐसे नेताओं की लंबी सूची है जिनकी पिछली पीढ़ी या अगली पीढ़ी किसी ना किसी महत्वपूर्ण पद पर रही है।
अब इस कड़ी में नितिन नबीन का नाम आ गया है।नितिन नबीन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी और विश्वसनीय माना जाता है। इस चयन से यह भी चर्चा होने लगी है कि क्या यह आरएसएस की पसंद है?
भाजपा की राजनीति के प्रेक्षक कहते हैं कि यदि इस चयन में आरएसएस की पसंद की चिंता होती तो किसी वरिष्ठ, अनुभवी और संघ के राजनीति के वैचारिक चेहरे को यह मौका मिलता। कम से कम नितिन नबीन को ऐसा नाम नहीं माना जा रहा है।
यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा की ऐसी क्या मजबूरी है कि श्री नबीन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। सवाल भी हो रहा है कि क्या उन्हें पार्टी का नियमित अध्यक्ष बनाया जाएगा ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट कर नितिन नबीन को बधाई दी और कहा–‘ नितिन नबीन जी ने एक कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। वे एक युवा और परिश्रमी नेता हैं, जिनके पास संगठन का अच्छा-खासा अनुभव है। ’

