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लेंस संपादकीय

बच्चे क्यों छोड़ रहे हैं स्कूल?

Editorial Board
Editorial Board
Published: December 10, 2025 8:14 PM
Last updated: December 10, 2025 8:14 PM
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school dropouts in india
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बीते दो दिनों से वंदे मातरम् और चुनाव सुधारों पर चर्चा के बीच यह खबर कहीं दब गई जिसके मुताबिक सरकार ने संसद में बताया है कि पूरे देश में 2020-21 से 2025-26 के दौरान पिछले पांच सालों में 65 लाख 70 हजार बच्चों ने स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ दी।

इस आंकड़े की तह में जाएं तो बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ नारे की जमीनी हकीकत भी सामने आती है, जिसके मुताबिक स्कूल छोड़ने वाले बच्चों में करीब आधी 29 लाख के करीब लड़कियां हैं।

सरकार ने बच्चों के स्कूल छोड़ने की जो वजहें बताई हैं, उसमें पलायन, गरीबी, घरेलू जिम्मेदारियां, बाल श्रम और सामाजिक दबाव जैसे कारण शामिल हैं।

यह स्थिति तब है, जब देश में 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीआई एक्ट) लागू है, जिसके जरिये 14 साल तक के बच्चों को अनिवार्य मुफ्त शिक्षा का संवैधानिक प्रावधान किया गया है। इसके अलावा अपने बदले नाम के साथ पीएम आहार योजना भी है, जिसके जरिये पहली से आठवीं तक के बच्चों को स्कूलों में दोपहर का भोजन दिया जाता है।

इन आंकड़ों में सबसे हैरत में डालने वाली जानकारी विकसित माने जाने वाले गुजरात की है, जहां इन पांच सालों में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में 340 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है! दूसरे नंबर असम है और सबसे आखिर में पश्चिम बंगाल है।

शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में शामिल है, लिहाजा इस स्थिति के लिए केंद्र और राज्य सरकारें दोनों को जिम्मेदार माना जा सकता है।

वास्तव में स्कूल छोड़ने वाले आंकडों को देखें, तो यह देश में बढती सामाजिक-आर्थिक असमानता को भी दिखाते हैं। और जाहिर है, कि अधूरी शिक्षा के साथ स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के लिए जीवन में आगे बढ़ने के अवसर सीमित होते जाएंगे।

यह विकास के उस विरोधाभास को भी दिखाता है, जिसमें एक ओर तो आठ फीसदी से तेज भागती जीडीपी है, दूसरी ओर रोजमर्रा की जरूरतों से जूझती बड़ी आबादी है, जिसके लिए शिक्षा भी आर्थिक बोझ की तरह लगती है।

बेशक, बच्चों के स्कूल छोड़ने के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कारण हो सकते हैं, लेकिन इस समस्या को समग्रता के साथ ही देखने की जरूरत है।

अच्छा तो यह होता कि इस पर संसद में गंभीरता से बहस होती; लेकिन लाख टके का सवाल है कि क्या इसके लिए राजनीतिक दल तैयार हैं?

TAGGED:Editorialeducationschool dropouts in india
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