नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एचपीजेड टोकन नामक क्रिप्टो निवेश घोटाले में 30 लोगों के खिलाफ कोर्ट में आरोप-पत्र दाखिल कर दिया है। इस मामले के दो मुख्य सूत्रधार चीन के नागरिक वान जून और ली अनमिंग हैं, जिन्होंने पूरे फ्रॉड को डिजाइन और चलाया।
जांच से पता चला है कि कोविड लॉकडाउन के दौरान इन लोगों ने शिगू टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के जरिए एक फर्जी मोबाइल ऐप लॉन्च किया था। इस ऐप में लोगों से कहा गया कि उनका पैसा क्रिप्टो माइनिंग में लगेगा और कुछ ही समय में भारी मुनाफा मिलेगा। महज तीन महीने में इस धंधे से सैकड़ों करोड़ रुपए इकट्ठे कर लिए गए, जिन्हें आरोपियों ने अपने कब्जे वाली कंपनियों और खातों में ट्रांसफर कर लिया।
CBI का कहना है कि यह कोई अकेला केस नहीं है, बल्कि विदेशी नागरिकों द्वारा चलाया जा रहा एक बड़ा और सुनियोजित साइबर क्राइम सिंडिकेट का हिस्सा है। यही नेटवर्क कई फर्जी लोन ऐप्स, निवेश प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन जॉब स्कैम में भी सक्रिय पाया गया है।
शुरुआत में इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया था। डॉर्टसे, रजनी कोहली, सुशांत बेहरा, अभिषेक, मोहम्मद इम्दाद हुसैन और रजत जैन। अब कुल 27 व्यक्तियों और तीन कंपनियों समेत 30 आरोपियों पर चार्जशीट दाखिल की गई है।
वान जून भारतीय कंपनी जिलियन कंसल्टेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर था, जो चीन की मूल कंपनी जिलियन कंसल्टेंट्स की सब्सिडियरी थी। वान जून और डॉर्टसे ने मिलकर शिगू टेक्नोलॉजीज सहित कई शेल कंपनियां खड़ी कीं। इन कागजी कंपनियों के जरिए ठगी से कमाए हजारों करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग की गई। कुछ ही महीनों में इन कंपनियों के खातों से 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम ट्रांसफर की जा चुकी है।
आरोपियों ने पेमेंट गेटवे और एग्रीगेटर सिस्टम का बेहद चालाकी से इस्तेमाल किया। असली लगने वाली कंपनियों की आड़ में पैसा एक शेल कंपनी से दूसरी में तेजी से घुमाया जाता था। कुछ निवेशकों को शुरू में छोटा-मोटा रिटर्न देकर उनका भरोसा जीता जाता था, फिर बाकी रकम गायब कर दी जाती थी।
इस पूरे ऑपरेशन में कंपनी सेक्रेटरी, चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे प्रोफेशनल्स की भी सेवाएं ली गईं। ठगी का पैसा क्रिप्टोकरेंसी में कन्वर्ट करके विदेश भेजा गया।

