नई दिल्ली। चुनाव आयोग (Election Commission) ने स्वीकार किया है कि बिहार समेत पूरे देश में अभी भी 3 लाख 26 हजार डुप्लीकेट वोटर्स हैं। बिहार जहां SIR की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है वहां 11,225 डुप्लीकेट वोटर्स की बात चुनाव आयोग ने स्वीकार करी है। आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले को दिए गए जवाब में चुनाव आयोग ने विगत 4 दिसंबर को यह तथ्य स्वीकारा है। छत्तीसगढ़ में 7656 डुप्लीकेट वोटर्स की बात कही जा रही है।
इस पूरे मामले में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि चुनाव आयोग साढ़े 6 लाख से ज्यादा डुप्लीकेट वोटर्स की शिनाख्त करने की बात आरटीआई के जवाब में कर रहा है लेकिन इनमें से लगभग 3 लाख 26 हजार 957 डुप्लीकेट एपिक नंबर ही डिलीट किए जा सके हैं बाकी आधे बचे नाम क्यों नहीं डिलीट किए जा सके? इसको लेकर चुनाव आयोग खामोश है।

साकेत गोखले ने अपनी X पोस्ट के तीन सवाल पूछे हैं- चुनाव आयोग ने इतनी बेशर्मी से झूठ क्यों बोला और दावा क्यों किया कि डुप्लिकेट ईपीआईसी मतदाता पहचान पत्र का मुद्दा “सुलझ गया” है, जबकि केवल 50 फीसदी एपिक नंबर ही हटाए गए हैं?
SIR के पूरा होने के बाद भी बिहार में अभी भी 11,295 डुप्लिकेट ईपीआईसी मतदाता पहचान पत्र क्यों हैं?
यदि चुनाव आयोग 7 महीनों से अधिक समय में 3.26 लाख डुप्लिकेट ईपीआईसी मतदाता पहचान पत्र हटाने में विफल रहा है, तो वह कैसे दावा कर रहा है कि वह जल्दबाजी में तैयार किए गए 2 महीने के SIR के माध्यम से “मतदाता सूची को साफ” कर सकता है?

