सुकमा। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की बदहाल व्यवस्था, किसानों के साथ हो रहे कथित दुर्व्यवहार, नए धान खरीदी केंद्र नहीं खोलने के फैसले के खिलाफ और वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत किसानों को पट्टा देने की मांग के साथ आज बस्तर के सुकमा जिले में आदिवासियों ने हंगामे दार प्रदर्शन किया।
बस्तर राज मोर्चा के नेतृत्व में बड़ी संख्या में आदिवासियों और किसानों ने बुधवार को सुकमा जिला मुख्यालय में अपनी मांगों को लेकर आंदोलन किया।
प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए जिला कलेक्टरेट तक मार्च निकाला और कलेक्टर सुकमा को ज्ञापन सौंपकर तत्काल कार्रवाई की मांग की।
किसानों ने कहा कि सुकमा जिले में धान खरीदी काफी विलंब से शुरू हुई, जबकि शासन के निर्देश के अनुसार 15 नवंबर से 31 जनवरी तक खरीदी होनी थी। विलंब के कारण किसानों के लिए निर्धारित समयावधि में पूरा धान बेच पाना मुश्किल हो गया है।
किसानों ने आरोप लगाया कि धान खरीदी केंद्रों में आदिवासी और छोटे किसानों के साथ अपमानजनक व्यवहार किया जा रहा है। बड़े किसानों के धान में जांच शिथिल है, जबकि छोटे किसानों को परेशान किया जा रहा है।
नाप-तौल में गड़बड़ी, बोरी भरने में कटौती और अवैध वसूली की शिकायतें सामने आ रही हैं।
इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे बस्तर राज मोर्चा के नेताओं ने कहा कि प्रशासन ने वर्ष 2025 में नए धान खरीदी केंद्र खोलने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई नया केंद्र नहीं खोला गया। जबकि भाजपा के घोषणा पत्र में प्रत्येक पंचायत के अंतर्गत धान खरीदी केंद्र खोलने का वादा किया गया था।
आंदोलन कारियों ने बताया कि कोंटा, कोण्ड्रे, बुद्दी, करेलापाल, मेलापाल समेत कई पंचायतों में केंद्र खोलने की मांग वर्षों से रखी जा रही है, लेकिन यह मांग अब तक पूरी नहीं की गई है।
बस्तर राज मोर्चा ने ज्ञापन में 10 सूत्रीय मांग की है, जिसमें पहला, वर्ष 2025 में ही नए धान खरीदी केंद्र खोले जाने और खरीदी अवधि बढ़ाए जाने की मांग प्रमुख है।
इसके अलावा किसानों का पूरा धान बिना भेदभाव खरीदने, प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी सुनिश्चित करने, अवैध वसूली और मजदूरी के नाम पर की जा रही कटौती बंद करने, बोरी के वजन में गड़बड़ी पर रोक लगाने, धान खरीदी के पहले पानी में डुबोकर जांच की प्रथा बंद करने, धान खरीदी केंद्रों में किसानों से दुर्व्यवहार पर तत्काल कार्रवाई करने, पूरे सुकमा जिले में धान खरीदी की निगरानी करने और वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत किसानों को सामुदायिक व व्यक्तिगत पट्टे तत्काल दिए जाने की मांग की है।
बस्तर राज मोर्चा ने साफ शब्दों में चेतावनी दी कि यदि मांगों पर जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो धान खरीदी केंद्रों का घेरावकरने के साथ ही सड़क जाम और उग्र आंदोलन किया जाएगा।
किसानों ने कहा कि यह लड़ाई केवल धान की नहीं, बल्कि सम्मान, अधिकार और अस्तित्व की लड़ाई है।
इस तरह इस आंदोलन ने बस्तर अंचल में धान खरीदी को लेकर बढ़ते असंतोष ने प्रशासन और सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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