गडचिरोली/मुंबई। महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित (Naxal Surrender) जिले गढ़चिरोली में बुधवार को एक बड़ी सफलता हासिल हुई। 11 वरिष्ठ नक्सलियों ने हथियार डाल दिए और पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इन पर कुल ₹82 लाख का इनाम घोषित था। यह सरेंडर दंडकारण्य क्षेत्र में नक्सली नेटवर्क को झटका माना जा रहा है। सरकारी अधिकारियों ने इसे 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है।
सरेंडर करने वालों में वरिष्ठ कमांडर शामिल
सरेंडर करने वाले नक्सलियों में दो डिविजनल कमेटी के सदस्य (DCM), तीन पार्टी पार्टी कमेटी के सदस्य (PPCM), दो एरिया कमेटी के सदस्य (ACM) और चार दलम (डेलम) के सदस्य शामिल हैं। ये सभी सीपीआई (माओइस्ट) के सक्रिय कैडर थे और कई हिंसक घटनाओं में लिप्त रहे। गडचिरोली पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के संयुक्त अभियान ने इनके सरेंडर को संभव बनाया। डीजीपी रश्मि शुक्ला ने समारोह में मौजूद रहकर इन्हें सरेंडर पॉलिसी के तहत पुनर्वास पैकेज की जानकारी दी।पृ
नक्सलवाद के खिलाफ महाराष्ट्र का अभियान
गढ़चिरोली महाराष्ट्र का सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिला है, जो छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा हुआ है। यहां दंडकारण्य के घने जंगलों में नक्सली वर्षों से सक्रिय रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार की ‘सरेंडर पॉलिसी’ के तहत नक्सलियों को आकर्षित करने के लिए आर्थिक सहायता, नौकरी प्रशिक्षण और सुरक्षा का वादा किया जाता है। इस साल अब तक जिले में 112 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पहले कहा था कि गढ़चिरोली को ‘महाराष्ट्र का आखिरी जिला’ नहीं, बल्कि ‘पहला जिला’ बनाने का लक्ष्य है।
सरेंडर के बाद फडणवीस ने ट्वीट कर कहा, ‘नक्सलवाद का अंत नजदीक है। कोई नया भर्ती नहीं हो रहा, बड़े कैडर सरेंडर कर रहे हैं।’
सरेंडर करने वाले नक्सलियों को सरेंडर पॉलिसी के तहत ₹2.5 लाख से ₹10 लाख तक की आर्थिक सहायता मिलेगी, साथ ही कौशल विकास प्रशिक्षण और मुख्यधारा में लौटने के लिए सहायता। पुलिस का कहना है कि ये नक्सली हिंसा से तंग आ चुके थे और माओवादी विचारधारा से मोहभंग हो गया था।
अब इन नक्सलियों से पूछताछ कर अन्य सक्रिय सदस्यों का पता लगाया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार का दावा है कि 2026 तक राज्य से नक्सलवाद को पूरी तरह उखाड़ फेंका जाएगा।

