लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों पर चुनाव आयोग की ओर से आश्वस्त करने वाला जवाब तो नहीं ही मिला है, इस सिलसिले में आए ताजा खुलासों से देश की चुनावी प्रणाली की निष्पक्षता पर छाई धुंध और गहरी हो गई है।
देश के कई बड़े अखबारों ने कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के आलंद में 5994 मतदाताओं के नाम गलत तरीके से मतदाता सूची से काटे जाने की जांच कर रही राज्य की एसआईटी के सूत्रों के हवाले से उजागर किया है कि इस खेल को सुनियोजित तरीके से किस तरह अंजाम दिया गया।
इसके तार पश्चिम बंगाल से लेकर अमेरिका के डेलवेयर शहर तक फैले हुए हैं। पता चला है कि एक अमेरिकी वेबसाइट SMSAlert और भारत की एक कंपनी OTPbazaar.com की मदद से इसे अंजाम दिया गया। इस मामले में पहले ही कर्नाटक के एक साइबर सेंटर की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई थी।
इन खुलासों के बावजूद केंद्रीय चुनाव आयोग की चुप्पी हैरान करने वाली है। जबकि राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के दस्तावेजों को ही खंगाल कर सप्रमाण दिखाया है कि किस तरह से देश के कई राज्यों में मतदाता सूची में गड़बड़ियां की गई हैं।
राहुल गांधी ने ऐन बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान भी मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने दिखाया था कि किस तरह से हरियाणा में मतदाता सूची में गड़बड़ी की गई।
यह देश के लोकतांत्रिक इतिहास में अभूतपूर्व स्थिति है, जब चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त लोकसभा में विपक्ष के नेता तथा अन्य विपक्षी नेताओं के आरोपों पर निष्पक्ष तरीके से जांच करने के बजाए उलटे उन्हें ही संदिग्ध बता रहे हैं!
अभी देश के जिन नौ राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया चल रही है, वहां से भी बीएलओ के भारी दबाव में काम करने की खबरें आई हैं। यहां तक कि अनेक बीएलओ ने दबाव में आत्महत्या तक कर ली है।
देश ने बहुत संघर्ष के बाद लोकतांत्रिक व्यवस्था और देश का संविधान हासिल किया है, जिसने देश के हर नागरिक को अपनी सरकार चुनने का अधिकार दिया है, लेकिन कर्नाटक में किए गए खुलासे से देखा जा सकता है कि किस तरह से देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की साख को दांव पर लगा दिया गया है।

