नई दिल्ली। देश के निवर्तमान सीजेआई बीआर गवई (CJI B R Gavai) ने अपने सेवानिवृत्ति के दिन जस्टिस विपुल पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने के प्रस्ताव पर कॉलेजियम में जस्टिस बीवी नागरत्ना की असहमति को लेखा प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अगर कॉलेजियम में जस्टिस नागरत्ना की असहमति में दम होता, तो अन्य जज भी उसे स्वीकार कर लेते। गवई ने कहा कि कॉलेजियम के भीतर असहमति कोई बड़ी बात नहीं है।
जस्टिस नागरत्ना ने अपने असहमति नोट में कहा था कि जस्टिस पंचोली वरिष्ठता क्रम में काफी नीचे हैं. वे मौजूदा जजों की अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में 57वें नंबर पर हैं, और उनकी सिफारिश करते वक्त कई प्रतिभाशाली और वरिष्ठ जजों को नजरअंदाज किया गया.
इसके अलावा वे गुजरात हाईकोर्ट से हैं और सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही गुजरात के दो जज हैं. तीसरा जज लाने से क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में कई राज्यों का कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सीजेआई गवई ने आज अपने आधिकारिक आवास पर मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “कॉलेजियम में किसी न्यायाधीश की असहमति पर, यह पहली बार नहीं हो रहा है।अगर असहमति में कोई योग्यता होती, तो चार अन्य न्यायाधीश इस पर सहमत होते।”
मुख्य न्यायाधीश गवई ने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि उनके कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट में किसी भी महिला न्यायाधीश की सिफारिश नहीं की जा सकी। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम विचाराधीन महिला उम्मीदवारों पर आम सहमति तक नहीं पहुंच सका।
बीआर गवई ने दोहराया कि वे सेवानिवृत्ति के बाद वह सरकार से कोई पद स्वीकार नहीं करेंगे वे अपना समय अपने गृह जनपद के आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए समर्पित करना चाहते हैं।
गवई ने जस्टिस यशवंत वर्मा मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि मामला अब लोकसभा जांच समिति के समक्ष है। हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के स्थानांतरण पर उन्होंने कहा कि ये निर्णय न्याय के बेहतर प्रशासन के हित में लिए गए हैं।
एक वकील द्वारा उन पर जूता फेंकने की कोशिश की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि माफ करने का निर्णय तत्काल लिया गया था। मुख्य न्यायाधीश गवई ने सोशल मीडिया की आलोचना की, क्योंकि इसमें न्यायाधीशों के ऐसे बयानों के बारे में कहा जा रहा है, जो कभी दिए ही नहीं गए।

