रायपुर। अंतरराष्ट्रीय बीज संधि में प्रस्तावित बदलाव को लेकर चिंताएं तेज हो गई हैं। भारत सहित दुनिया भर के कृषि विशेषज्ञ और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले संगठन चेतावनी दे चुके हैं कि नया अंतरराष्ट्रीय समझौता पारंपरिक बीजों को पूरी तरह नष्ट कर देगा और बीज कंपनियों का एकाधिकार स्थापित कर देगा।
इन्हीं चिंताओं के बीच भारत बीज स्वराज मंच (BBSM) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ग्लोबल साउथ के सभी राष्ट्राध्यक्षों को एक खुला पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि 24 नवंबर से पेरू के लीमा में होने वाली अंतरराष्ट्रीय पौधा आनुवंशिक संसाधन संधि (ITPGRFA) की 11वीं बैठक में प्रस्तावित संशोधनों को मंजूरी देना भारत और दक्षिणी देशों के लिए खतरनाक साबित होगा। नई संधि में गोपनीयता के प्रावधान डाले जा रहे हैं, जिससे पारदर्शिता खत्म हो जाएगी और बायो-पायरेसी (जैव-चोरी) को कानूनी संरक्षण मिल जाएगा।
अभी संधि में सिर्फ 64 फसलों के बीज ही मल्टीलेटरल सिस्टम (MLS) में शामिल हैं। अब प्रस्ताव है कि सारी फसलें और उनके डिजिटल जीन अनुक्रम (DSI) भी इसमें डाल दिए जाएं, यानी दुनिया की बड़ी बीज कंपनियाँ बिना पूछे हमारे सारे देसी बीज और उनकी जेनेटिक जानकारी मुफ्त ले सकेंगी।
BBSM का कहना है कि ये कंपनियां हमारे बीजों से नई किस्में बनाकर उन पर पेटेंट ले लेंगी और फिर उसी भारत व अफ्रीका-लैटिन अमेरिका के किसानों को महंगे बीज बेचेंगी।
अभी तक भारत ने इस संधि के तहत 4 लाख से ज्यादा बीज नमूने दिए हैं, लेकिन किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिला। ट्रैकिंग का कोई सिस्टम नहीं है कि कौन क्या ले गया और उससे क्या बनाया।
भारत बीज स्वराज मंच की क्या हैं मांगें
भारत बीज स्वराज मंच के संयोजक जैकब नेल्लीथानम ने बताया कि सभी फसलों को Annex-1 में शामिल करने का प्रस्ताव पूरी तरह खारिज किया जाए। डिजिटल जीन जानकारी (DSI) पर सख्त नियंत्रण हो, बिना मूल किसानों-समुदायों की अनुमति के कोई पेटेंट न लिया जाए। पारदर्शी ट्रैकिंग सिस्टम बने ताकि किसान भी देख सकें कि उनका बीज कहाँ गया और उससे क्या बना। देश में तुरंत “राष्ट्रीय विरासत बीज रजिस्ट्री” शुरू हो, जिसमें देसी-परंपरागत किस्में दर्ज हों और उन पर निजी पेटेंट न लगे। जीई/जीएम फसलों को बिना सख्त जांच के छोड़ा जाना बंद हो, क्योंकि ये हमारी देसी किस्मों को हमेशा के लिए दूषित कर देंगे।
सवाल खाद्य सुरक्षा और संप्रभुता का
भारत मानसटा, सौमिक बनर्जी, डॉ. नरसिम्हा रेड्डी और डॉ. अनुपम पॉल ने सभी ग्लोबल साउथ देशों से एकजुट होकर इन प्रस्तावों को रोकने की अपील की है। उनका कहना है कि “हमारे देसी बीज दुर्लभ खनिजों से भी ज्यादा कीमती हैं। इन्हें मुफ्त में लुटने नहीं दिया जा सकता। यह हमारी खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और संप्रभुता का सवाल है।” आगामी 24 नवंबर से लीमा में होने वाली बैठक से पहले भारत और दक्षिणी देशों के नेता अगर एकजुट नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी।

