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साहित्य-कला-संस्कृति

प्रख्यात लेखक व समाजवादी विचारक सच्चिदानंद सिन्हा का निधन

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ByLens News Network
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Published: November 19, 2025 7:45 PM
Last updated: November 19, 2025 7:45 PM
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Sachchidananda Sinha
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लेंस डेस्‍क। प्रख्यात लेखक और समाजवादी विचारक सच्चिदानंद सिन्हा का बुधवार को देहांत हो गया। बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित अपने घर में उन्होंने आखिरी सांस ली। अभी पिछले महीने ही उनका 98 जन्‍मदिन मनाया गया था।

पिछले 50 साल में उनकी 25 से ज्यादा किताबें छपीं। इनमें करीब दर्जन भर अंग्रेजी में और उससे कहीं अधिक हिंदी में। उनका लेखन बेहद व्यापक था। आज की राजनीति से लेकर सौंदर्य बोध तक, बिहार के पिछड़ेपन के कारणों से लेकर जाति व्यवस्था की जड़ों तक, नक्सल आंदोलन की विचारधारा की पड़ताल से लेकर नई पीढ़ी के लिए समाजवाद का नया खाका तैयार करने तक हर विषय पर उन्होंने गहराई से लिखा।

खास बात यह कि सच्चिदानन्द सिन्हा के पास कोई औपचारिक डिग्री नहीं थी। उन्होंने कभी विश्वविद्यालय में पढ़ाया नहीं। पूरा जीवन वे एक राजनीतिक कार्यकर्ता रहे। पहले सोशलिस्ट पार्टी में फिर समता संगठन और बाद में समाजवादी जन परिषद से जुड़े रहे। पढ़ना और लिखना ही उनकी असली राजनीति थी।

बड़ी पार्टियों से जिस तरह वे दूर रहे, ठीक वैसे ही बड़े प्रकाशकों से भी। पिछले लगभग चालीस साल वे बिहार के एक छोटे से गांव में सादी झोपड़ी में रहे। उनकी भाषा भी उनके जीवन जैसी ही साफ सादी थी। न कोई जटिल शब्दावली, न कोई चलताऊ अंदाज, न कोई बनावटी नारा, न कोई दिखावटी शैली। पुरस्कारों को भी उन्होंने हमेशा ठुकराया।

उनकी किताब समाजवाद अस्तित्व का घोषणापत्र आज भी समाजवाद की सबसे ताजा और प्रासंगिक रूपरेखा पेश करती है। उनके नजरिए में विकेंद्रीकृत जनतंत्र, सही तकनीक, कम उपभोग वाला जीवन, पर्यावरण संतुलन और पूंजी से ऊपर मजदूर की ताकत जैसे विचार मिलकर समाजवाद को 20वीं सदी की सिर्फ एक विचारधारा नहीं, बल्कि उस सदी की सारी अच्छी सीख का जीवंत संकलन बना देते हैं।

बिहार सरकार के पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी ने कहा कि सच्चिदानन्द बाबू का पूरा जीवन और उनकी कलम दोनों ही हैरत में डालने वाले रहे। वे अपने पीछे अपार लेखन धरोहर छोड़ गए हैं। आने वाली पीढ़ियां जब दुनिया को समझने की कोशिश करेंगी तो उनका लेखन लंबे अर्से तक रास्ता दिखाता रहेगा।

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